Sri Lanka Crisis: सेना नहीं भेजेगा भारत, पड़ोसी की मदद में उठाया ये कदम
श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन को प्रदर्शनकारी छोड़ने को तैयार नहीं हैं. देश एक तरह से प्रशासनिक पंगु हो गया है.
highlights
- श्रीलंका में ईंधन और भोजन की कमी का असर जारी है
- भारतीय उच्चायोग ने सेना भेजने का स्पष्ट रूप से किया खंडन
- राष्ट्रपति भवन को प्रदर्शनकारी छोड़ने को तैयार नहीं हैं
नई दिल्ली:
श्रीलंका में आर्थिक बदहाली के साथ अब राजनीतिक अराजकता का दौर शुरू हो गया है. राष्ट्रपति भवन पर 9 जुलाई से कब्जा करने वाले प्रदर्शनकारियों का साफ कहना है कि जब तक राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपने पद से इस्तीफा नहीं दे देते हैं, तब तक राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जारी रहेगा. प्रदर्शनकारी किसी भी सूरत में राष्ट्रपति आवास छोड़ने को राजी नहीं हैं. सड़क से लेकर राष्ट्रपति भवन तक हर तरफ प्रदर्शनकारी नजर आ रहे हैं. लोग पेट्रोल, बिजली और भोजन जैसी आधारभूत सुविधाओं के लिए मशक्कत कर रहे हैं. लोगों के सब्र का बांध अब टूट चुका है, जिसका खामियाजा वहां के नेताओं को उठाना पड़ रहा है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन को प्रदर्शनकारी छोड़ने को तैयार नहीं हैं. देश एक तरह से प्रशासनिक पंगु हो गया है. वहीं, देश में जगह-जगह सेना भी तैनात है. दुनिया के कई देशों ने श्रीलंका से अपील की है कि देश में आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ ही राजनीतिक स्थिरता लाने का प्रयास किया जाए. लेकिन प्रदर्शनकारियों को हौसले को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वर्तमान नेतृत्व अब देश में राजनीतिक स्थिरता लाने में कामयाब नहीं होगी. प्रदर्शनकारियों पर अगर बल प्रयोग किया जाता है तो हिंसा भड़क सकती है.
क्या श्रीलंका में भारत भेजेगा सैनिक?
श्रीलंका में प्रदर्शनाकारियों के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा के बाद से यह कहा जा रहा है कि भारत एक बार फिर श्रीलंका में सैन्य कार्रवाई कर सकता है. ऐसा मानने वाले भारत और श्रीलंका दोनों में मौजूद हैं. श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने नई दिल्ली द्वारा भारतीय सैनिकों को द्वीप-राष्ट्र में भेजने की अटकलों का खंडन किया है.
"भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आज स्पष्ट रूप से कहा कि भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है क्योंकि वे लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित संस्थानों और एक संवैधानिक ढांचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं."
“उच्चायोग भारत द्वारा श्रीलंका में अपनी सेना भेजने के बारे में मीडिया और सोशल मीडिया के वर्गों में सट्टा रिपोर्टों का स्पष्ट रूप से खंडन करना चाहेगा. भारतीय उच्चायोग ने एक आधिकारिक बयान में कहा, ये रिपोर्ट और इस तरह के विचार भी भारत सरकार की स्थिति के अनुरूप नहीं हैं."
विदेश मंत्रालय ने कहा, "भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है क्योंकि वे लोकतांत्रिक साधनों और संवैधानिक ढांचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति चाहते हैं और द्वीप देश में विकास का अनुसरण करना जारी रखते हैं."
श्रीलंकाई राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास अभी भी प्रदर्शनकारियों की गिरफ्त में है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे दोनों ने शनिवार को इस्तीफा देने पर सहमति जताई. प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को घर में आग लगा दी. कोलंबो ने पिछले हफ्ते शनिवार को अपने सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक देखा, जब हजारों प्रदर्शनकारियों ने गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए.
प्रदर्शनकारियों पर क्या है सेना का रूख?
श्रीलंकाई सेना प्रमुख ने प्रदर्शनकारियों को यह भी आश्वासन दिया कि सेना विरोध प्रदर्शनों को बाधित नहीं करेगी. “अरगला भूमिया पर हमला करने या परेशान करने का ऐसा कोई प्रयास नहीं है, जैसा कि अब सोशल मीडिया में गलत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है. श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल शैवेंद्र सिल्वा स्पष्ट रूप से झूठी मनगढ़ंत जानकारी से इनकार करते हैं." फील्ड मार्शल सरथ फोन्सेका ने कहा, "घबराएं नहीं, शांति और अहिंसक तरीके से अपना संघर्ष जारी रखें."
श्रीलंका का आर्थिक संकट कैसे होगा खत्म?
श्रीलंका में लोगों को ईंधन और भोजन की कमी का असर जारी है. घटते विदेशी मुद्रा भंडार, ईंधन के भंडार और दवाओं और खाद्य पदार्थों जैसी आवश्यक चीजों ने 1948 के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट पैदा किया है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने कहा कि 6.26 मिलियन से अधिक श्रीलंकाई या 10 में से तीन घर इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि उनका अगला भोजन कहां से आयेगा.
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इस बीच, श्रीलंका एक बेलआउट पैकेज प्राप्त करने के लिए अगस्त तक IMF को अपना ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम प्रस्तुत करेगा. अगर सरकार इसे जमा करने में विफल रहती है, तो आईएमएफ को कई महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है.
क्या श्रीलंका हिंसा में होगी?
श्रीलंका की सेना और प्रशासन अभी प्रदर्शनकारियों से शांति और धैर्य के साथ विरोध-प्रदर्शन करने को कह रही है. प्रदर्शनकारी भी शांति से ही विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. विश्व के तमाम देश श्रीलंका में राजनीतिक स्थिरता लाने की अपील कर रहे हैं. ऐसे में अगर वहां का शासक वर्ग जल्द ही आर्थिक मोर्चे पर कुछ सकारात्मक बदलाव कर सकेगा तो स्थिति काबू में की जा सकती है. लेकिन मामला ज्यादा दिन चला तो जनता का आक्रोश विस्फोटक हो सकता है.
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