भारत तुर्की के बीच आया रूबेला वायरस,कश्मीर पर बेतुके बयान के बाद गेहूं किया वापस
56877 टन भारतीय गेहूं से लदे जहाजों को 29 मई से तुर्की से वापस गुजरात के बंदरगाहों की तरफ लाया जा रहा है.
नई दिल्ली:
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूरोप के कई देशों में गेहूं की मांग बढ़ गयी है. क्योंकि यूरोप के अधिकांश देशों में यूक्रेन ही गेहूं का निर्यात करता है. भारत अपने खाद्य भंडार को सुरक्षित रखने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. दुनिया भर के देश भारतीय गेहूं के लिए मोदी सरकार से निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं तो दूसरी ओर तुर्की ने भारतीय गेहूं को खराब बताकर वापस कर दिया. 56877 टन भारतीय गेहूं से लदे जहाजों को 29 मई से तुर्की से वापस गुजरात के बंदरगाहों की तरफ लाया जा रहा है. तुर्की ने कहा है कि भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस मिला है. इसलिए वे इसे वापस भेज रहे हैं.
तुर्की ने फाइटोसैनिटरी चिंताओं के आधार पर भारतीय गेहूं की खेप को खारिज कर दिया और वापस भारत भेज दिया है. इन जहाजों को तुर्की से गुजरात के कंडाला बंदरगाह पर वापस आ रहा है. एसएंडपी ग्लोबल कम्युनिटी इनसाइट्स के एक अपडेट के अनुसार, इस कदम ने भारतीय व्यापारियों में काफी चिंता पैदा कर दी है. तुर्की के अधिकारियों ने कहा है कि भारत से गेहूं की खेप का रूबेला वायरॉस का पता चला है और इसलिए तुर्की के कृषि और वानिकी मंत्रालय द्वारा इसे प्रयोग में लाने की अनुमति नहीं दी गई.
अब तक, भारत के वाणिज्य और कृषि मंत्रालयों ने स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि भारतीय रूबेला पौधे की बीमारी किसी भी आयातक देश के लिए गंभीर चिंता का कारण हो सकती है, हालांकि भारतीय गेहूं के मामले में यह एक दुर्लभ उदाहरण है.
भारत का गेहूं अच्छी गुणवत्ता का है
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि, "एक देश (तुर्की) ने हमारी गेहूं की खेप को खारिज कर दिया और वापस भेज दिया. हमने जांच शुरू की है लेकिन प्रारंभिक जांच के बाद हमें सूचना मिली कि यह निर्यात आईटीसी लिमिटेड का है. नीदरलैंड ने यह खेप खरीदी; आईटीसी को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि यह तुर्की के लिए है. जिस देश ने ऐसा किया, उसके पीछे के मकसद के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि भारत का गेहूं अच्छी गुणवत्ता का है और आईटीसी अच्छा गेहूं खरीदता है; उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है."
The Netherlands bought this consignment;ITC had no knowledge that it was for Turkey. I have no info on the motive behind which the country that did this,did so. But I have complete faith that India's wheat is of good quality & ITC buys good wheat; they've assured me: Piyush Goyal pic.twitter.com/AzQXp8DsEQ
— ANI (@ANI) June 3, 2022
क्या है रूबेला वायरस
रूबेला वायरस या जर्मन खसरा एक संक्रामक वायरल है. यह अक्सर शरीर पर विशिष्ट लाल चकत्ते दिखाता है. इससे संक्रामक रोगियों में कोई खास लक्षण नहीं होते. रूबेला वायरस से संक्रमण 3-5 दिनों तक रह सकता है और यह तब फैल सकता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है या नाक और गले से स्राव रहता है.
तुर्की के आरोपों से भारत पर क्या असर?
कहा जा रहा है कि ऐसे समय में पूरी दुनिया कोरोना महामारी और यू्क्रेन-रूस के बीच महायुद्ध से जूझ रही है, भारतीय गेहूं की डिमांड बढ़ी है. जिसके बाद भारत सरकार को इसके निर्यात पर रोक लगानी पड़ी. भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस के आरोप चिंताजनक हो सकते हैं. रूबेला की चिंताओं पर तुर्की का भारतीय गेहूं को वापस लौटाना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग को प्रभावित कर सकता है. इससे देश और विदेश में गेहूं की कीमतों में कमी आ सकती है.
इस्लामी कट्टरपंथ की तरफ बढ़ते कदम
तुर्की का यह कदम आश्चर्य भरा नहीं है, इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने कश्मीर पर जहर भी उगला था. एर्दोगान ने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के साथ एक संयुक्त सम्मेलन में पाक की तरफदारी दी. कहा कि वह कश्मीर पर आए प्रस्तावों का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि इस दशकों पुराने विवाद का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक हो. तुर्की के राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि साल 2023 से पाकिस्तान और तुर्की मिलकर युद्धपोत बनाएंगे.
तुर्की का यह रूख उसके इस्लामी देश के रूप में बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है. एक समय तुर्की अपने आधुनिक औऱ प्रगतिशील विचारों के लिए जाना जाता था. जब अता तुर्क कमाल पाशा ने देश के नवनिर्माण के साथ आधुनिकता की नींव डाली थी. लेकिन अब तुर्की भी इस्लाम के कट्टरपंथी रास्ते पर चल पड़ा है.
यही नहीं तुर्की ने अपना नाम बदल लिया है. इसी के साथ अब तुर्की को तुर्किये (Türkiye) के नाम से जाना जाएगा. संयुक्त राष्ट्र ने तुर्की की ओर से किए गए नाम बदलने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. इससे पहले दिसंबर महीने में रेचेप तैय्यप एर्दोगान ने कहा था, "तुर्किये, इस देश के लोगों की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों का सबसे बेहतर तरीक़े से प्रतिनिधित्व करता है और यह उन्हें सबसे अच्छे से अभिव्यक्त भी करता है."
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