परिवार का पॉलिटिकल ड्रामा, अजित पवार से पहले इन फैमिली में भी मचा है घमासान
सियासी दिग्गजों के बीच संबंधों में दगाबाजी का कोई ये पहला मामला नहीं है. देश की राजनीति में परिवार का विवाद और पार्टियों में तोड़फोड़ की कोशिश लंबे समय से चली आ रही है. राजनीतिक परिवार में पावर के लिए लड़ाई, सेंधमारी और दगाबाजी देखने को मिली है.
नई दिल्ली:
भारतीय राजनीति में परिवार की विरासत की अहम भूमिका रही है. आजादी के बाद से ही पारिवारिक विरासत का सियासत में वर्चस्व रहा है, लेकिन पारिवारिक राजनीति की वजह से समय-समय पर तकरार भी देखने को मिली है. वह चाहे बिहार हो, उत्तर प्रेदश या फिर महाराष्ट्र हो. इन राज्यों में पारिवारिक विरासत में सेंध लगाने की भरपूर कोशिश भी की गई है. कुछ नेता तो इसमें सफल भी हुए.. ताजा घटनाक्रम महाराष्ट्र का है. महाराष्ट्र की राजनीति पर इन दिनों देश की नजर है. महाराष्ट्र में 25 साल पुरानी पार्टी कुछ ही घंटों में ताश के पत्ते की तरह बिखर गई. एनसीपी पर चाचा-भतीजा दोनों ने दावा ठोक दिया. मराठा क्षत्रप शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच जारी लड़ाई देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुकी है.
अजित पवार ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी पर अपना दावा ठोका है. अजित गुट ने 40 विधायकों का दावा किया है. वहीं, पार्टी की स्थापना करने वाले 82 साल के शरद पवार ने खुद को पार्टी सुप्रीमो बताया है. मामला सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक पहुंच चुका है. सियासी दिग्गजों के बीच संबंधों में दगाबाजी का कोई ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी राजनीतिक परिवार में पावर के लिए लड़ाई, सेंधमारी और दगाबाजी देखने को मिली है. वह चाहे, राम विलास पासवान की राजनीति विरासत को आगे बढ़ाने की बात हो, या फिर मुलायम सिंह की राजनीति को आगे लेकर चलने की चर्चा और अब एनसीपी में शरद पवार और अजित पवार के बीच जारी जंग हो..मानसून की बारिश देश का तापमान भले ही ठंडा हुआ हो, लेकिन इन परिवारों में बगावत, तकरार और धोखाबाजी से सियासत गरमाती रही है. आइए जानते हैं इन परिवार और पार्टियों में फूट के कुछ अहम कारण.
NCP पर चाचा-भतीजा ने ठोका दावा
देश में इन दिनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में जारी बगावत से महाराष्ट्र से दिल्ली तक उबल रहा है. अजित पवार ने एनसीपी पर अपना दावा ठोक कर शरद पवार को अलग थलग कर दिया. अजित पवार ने शिंदे सरकार के साथ गठबंधन कर अपने चाचा शरद पवार को पार्टी से बाहर निकाल दिया. अजित पवार ने एनसीपी के नाम और सिंबल पर अपना हक जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक अवगत करा दिया है. अजित पवार गुट ने अपने साथ 40 विधायकों के होने का दावा किया है. वहीं, पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष और पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने एनसीपी पर अपना अधिकार बताया है. शरद पवार ने कहा कि यह उनकी पार्टी है. इसमें अजित पवार का कुछ भी नहीं है. 54 विधायकों वाली पार्टी एनसीपी पर एक तरफ भतीजा अजित पवार ने अपना दावा ठोका है. वहीं, शरद पवार ने कहा कि यह पार्टी उन्होंने खून-पसीना बहाकर जनता के समर्थन से खड़ा किया है. इसलिए इसपर हक सिर्फ हमारा है. हालांकि, अब मामला चुनाव आयोग के पास है. चुनाव आयोग इस मामले की पड़ताल करने में जुटा है. आयोग के फैसले के बाद ही तय हो पाएगा कि एनसीपी का असली हकदार कौन है. अजित पवार या शरद पवार.
यह भी पढ़ें: NCP की कार्यकारिणी बैठक में अजित पवार ने उठाए सवाल, कहा- मामला चुनाव आयोग में लंबित
चाचा शिवपाल और भतीजा अखिलेश के बीच तकरार
इससे पहले उत्तर प्रदेश में चाचा- शिवपाल यादव और भतीजा अखिलेश यादव के बीच राजनीतिक फसाद किसी से छिपी नहीं है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच सियासी तकरार लंबे समय तक चलती रही. दरअसल, मुलायम सिंह यादव की जब सेहत गिरने लगी तो उन्होंने 2012 में अपने बेटे अखिलेश यादव को पार्टी की कमान सौंप दी थी, लेकिन जबतक मुलायम सिंह राजनीति में सक्रिय रहे तबतक सरकार से लेकर संगठन तक का पूरा काम शिवपाल यादव के हाथों में था. शिवपाल यादव खुद को मुलायम का उत्तराधिकारी समझते थे, लेकिन मुलायम ने अपनी सियासी विरासत भाई को देने के बजाय बेटे अखिलेश यादव को सौंप दी. दोनों के बीच लंबे समय से चल रहे शीतयुद्ध खुलकर सामने आ गया. नाराज चाचा शिवपाल ने 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बगावत शुरू कर दी. इससे नाराज मुलायाम सिंह यादव ने दिसंबर 2016 में बेटे अखिलेश यादव और चचेरे भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से निकाला दिया. इसके दो दिन बाद अखिलेश ने पार्टी का विशेष अधिवेशन बुलाकर खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए और शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया. बाद में शिवपाल ने खुद की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली. हालांकि, अब दोनों के बीच माहौल ठंडा है.
यह भी पढ़ें: Maharashtra Politics: एनसीपी किसकी? शरद पवार ने बुलाई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग
लोजपा पर पशुपति पारस ने जमाया कब्जा
लोजपा के संस्थापक राम विलास पासवान के निधन के बाद पशुपति पारस ने अपने भाई की सियासी विरासत पर रातोंरात कब्जा जमा लिया. 2021 में लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) पर अधिकार की लड़ाई खुलकर सामने आई. रामविलास पासवान के निधन के बाद भाई पशुपति पारस ने रातोंरात लोजपा के छह में से पांच सांसदों को अपने गुट में शामिल कर पार्टी पर दावा ठोक दिया. फिर क्या था. रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने चाचा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पार्टी पर अपना अधिकार जमाने की कोशिश की, लेकिन तबतक गंगा से पानी काफी बह चुका था. पशुपति पारस एनडीए में शामिल हो गए और मौजूदा समय में वो मोदी सरकार में मंत्री हैं.
- HIGHLIGHTS
- सियासी विरासत को लेकर परिवार में बगावत
- अखिलेश-शिवपाल के बीच लंबे समय तक विवाद
- लोजपा में पशुपति पारस ने चिराग का किया था तख्तापलट
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा