Iran-Israel Tension: चार दशक पुरानी है ईरान-इजराइल की रंजिश, जानें किन कारण से बढ़ा तनाव
ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। अगले 48 घंटे काफी अहम माने जा रहे हैं. दमिश्क में वाणिज्य दूतावास पर हमले के बाद ईरान इजराइल पर बिफरा हुआ है. उसका कहना है कि हमले का बदला वह लेकर रहेगा.
नई दिल्ली:
ईरान और इजराइल के बीच टेंशन बढ़ गई है. 48 घंटे काफी अहम माने जा रहे हैं. मिडिल ईस्ट में यह बड़ा टकराव देखा जा रहा है. ये भिड़ंत आज की नहीं बल्कि की चार दशक पुरानी है. दोनों देशो के बीच छद्म युद्ध जारी है. हालांकि दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर भी देखने को मिला है. ईरान और इजराइल के बीच वर्तमान हालात में तनाव की कई वजहें हैं. इजराइल का कहना है कि उसके खिलाफ लड़ने वाले समूह का ईरान हमेशा साथ देता है. दूसरी ओर ईरान का दावा है कि इजराइल ने अपने खुफिया सैन्य अभियान चलाकर सेना के कई कमांडरों को निशान बनाया है. वर्तमान समय में दोनों देशों के बीच टेंशन की वजह सीरिया के दमिश्क में एक ईरानी वाणिज्य दूतावास हुआ हमला है. इस हमले में ईरानी सेना के सात बड़े अधिकारी की मौत हुई है. हमले के बाद से ईरान ने इजराइल से बदले की ठानी है.
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ईरान और इजरायल एक दूसरे पर आरोप मढ़ते रहे हैं. तनाव के कारण दोनों देश अलग-अलग समूहों का समर्थन करते हैं. ईरान सीरिया का समर्थन करता है. वहीं इसके साथ लेबनान का एक समूह हिजबुल्लाह की सहायता करता है. दूसरी ओर इजरायल सीरिया का विरोध करता है. वह हिजबुल्लाह समूह से नफरत करता है.
कब से शुरू हुआ बैर
इजराइल और ईरान के बीच दुश्मनी की शुरुआत 1979 से आरंभ हुई. ईरान की क्रांति के कारण इजराइल के सहयोगी कहे जाने वाले ईरान के शाह को गद्दी से हटा दिया गया. इसके बाद ईरान में इस्लामिक गणराज्य की स्थापना हुई. अयातुल्ला रूहुल्लाह खुमैनी को ईरान के सर्वोच्च नेता की गद्दी सौंपी गई. अयातुल्ला रूहोल्लाह के वक्त से ही ईरान का रुख इजराइल विरोधी हो चुका था. इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव देखने को मिलने लगा.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम का करता रहा है विरोध
ईरान से तनाव शुरू होने पर इजरायल अपने आपको हमेशा मजबूत करने में लगा रहा. यही कारण कि इजराइल ईरान के परमाणु कार्यक्रम का हमेशा से विरोध करता रहा है. इजराइल को इस बात का डर है कि अगर ईरान परमाणु हथियार संपन्न हो गया तो यह उसके लिए खतरनाक होगा. इस पर ईरान का कहना है कि परमाणु से जुड़ी तकनीक का उपयोग केवल बिजली बनाने जैसी शांतिपूर्ण चीजों के लिए है. मगर इस पर इजराइल भरोसा नहीं करता है. 1979 में ईरानी क्रांति के बाद इजराइल के बीच तनाव चरम पर दिखा. उस दौरान ईरान ओर इजराइल ने अपने सभी राजनयिक और वाणिज्यिक रिश्तों को खत्म कर दिया. ऐसी स्थिति 1990 तक जारी रही.
मिडिल ईस्ट में तनाव देखा गया था
इसके बाद 1991 के खाड़ी युद्ध में भी दोनों देश आमने-सामने आ गए. उस समय पूरे मिडिल ईस्ट में तनाव देखा गया था. लेबनान युद्ध जो 2006 में हुआ था. इस युद्ध में ईरान था. वहीं इजराइल इसके विरोध में था. इजराइल का दावा है कि ईरान ने इराक, पाकिस्तान और सीरिया का पीछे से समर्थन किया है.
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