Budget 2023: क्या आप भी 'मिडिल इनकम जाल' में फंसे हैं... इस बजट में मिल सकती है राहत
भारत का मध्यम वर्ग न केवल खपत बढ़ाता है, बल्कि करों का भुगतान भी करता है. परिणामस्वरूप सरकार अधिक खर्च करती हैं, जिससे समाज के अन्य वर्गों का उत्थान होता है. भारत का मध्यम वर्ग वर्ष 2004-2005 में 14 फीसदी से बढ़कर 2021-22 में 31 फीसदी हो चुका है.
highlights
- भारत के मध्यम वर्ग की होती है 5 लाख से 30 लाख रुपये की वार्षिक आय
- मध्यम वर्ग 2004-2005 में 14 फीसदी से बढ़ 2021-22 में 31 फीसदी हुआ
- भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में मध्यम आय वर्ग को नजरअंदाज करना मुश्किल
नई दिल्ली:
भले ही हम किसी भी देश की बात करें मध्यम वर्ग (Middle Income Group) हर अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. मध्यम वर्ग की कई परिभाषाएं हैं, लेकिन हम जिस मध्यम वर्ग की बात कर रहे हैं उसमें ऐसे परिवार आते हैं जिन्हें एक महीने के वेतन से अगले महीने का वेतन आने तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ती. यह वर्ग भी आकांक्षी है यानी विदेशों में छुट्टियां मनाना और लग्जरी कारें उनकी इच्छाओं में रहती हैं. हालांकि वे इन पर खर्च करने के बजाय अपनी सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने पर अधिक जोर देते हैं. मध्यम वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, क्योंकि वे उपभोग और आर्थिक विकास के मुख्य चालक हैं. भारत (India) में मध्यम वर्ग के पास निम्न आय वर्ग की तुलना में अधिक खर्च करने लायक आय है. यह आय उन्हें गैर-आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की खरीदारी करने की अनुमति देती है. यह खपत उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला की मांग को बढ़ाती है, जो बदले में रोजगार (Employment) सृजित करने और आर्थिक विकास (Economic Growth) को प्रोत्साहित करने में मददगार बनती है. माना जा रहा है कि मोदी सरकार 2.0 (Modi Government)अपने आखिरी पूर्णकालिक बजट (Budget 2023) में इस वर्ग के लिए और राहत की घोषणा कर सकती है. हालांकि इसका सही-सही पता तो 1 फरवरी को पता चलेगा जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2023 (Union Budget 2023) पेश करेंगी.
मध्यम वर्ग में आने वाले भारतीय परिवार
भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. इसके श्रेय देश के मध्यम वर्ग के एक बड़े तबके को दिया जा सकता है. यह देश का वह वर्ग है, जिसकी 5 लाख रुपये से 30 लाख रुपये तक की वार्षिक घरेलू आय है. अमीर वे लोग हैं जिनकी घरेलू आय 30 लाख रुपये से अधिक है. ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में उच्च आय के कारण महानगरों में वंचित लोगों का प्रतिशत बहुत कम है. आय समूहों का ऐसा वर्गीकरण देश की क्रय शक्ति और उपभोग प्रवृत्तियों को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है. उदाहरण के लिए हम जिस मूल्य सर्वेक्षण की बात कर रहे हैं उससे पता चलता है कि वंचित परिवार में शायद ही किसी ने कोई वाहन खरीदे हों. इसके विपरीत मध्यम वर्ग में हर दस में से तीन परिवार कार खरीदने की इच्छा रखते हैं या शायद पहले से ही एक कार उनके पास है. इस कड़ी में अगर आप सोच रहे हैं कि अमीरों के पास वास्तव में कितनी कारें हैं, तो यह प्रति परिवार तीन कारों की संख्या है.
बजट 2023-24 से इस वर्ग को भी हैं खासी उम्मीदें
इस लिहाज से कह सकते हैं कि भारत का मध्यम वर्ग न केवल खपत बढ़ाता है, बल्कि करों का भुगतान भी करता है. इसके परिणामस्वरूप सरकार अधिक खर्च करती हैं, जिससे समाज के अन्य वर्गों का उत्थान होता है. भारत का मध्यम वर्ग वर्ष 2004-2005 में 14 फीसदी से बढ़कर 2021-22 में 31 फीसदी हो चुका है. यह संख्या और बढ़ने की संभावना है, जो वर्ष 2047 तक 63 प्रतिशत आबादी तक पहुंच जाएगी. जाहिर है भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए इस मध्यम आय वर्ग को नजरअंदाज करना मुश्किल है. ऐसे में मोदी सरकार 2.0 के इस आखिरी पूर्ण बजट से इस वर्ग को और भी राहत मिलने की उम्मीद है. हालांकि इसका पता तो 31 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे दिन यानी एक फरवरी को चलेगा, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पांचवां बजट पेश करेंगी.
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