कर्नाटक सरकार के विज्ञापन से नेहरू गायब, कांग्रेस का BJP पर निशाना
मोदी ने पिछले साल घोषणा की थी कि लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
highlights
- BJP 14 अगस्त को मनाती है विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस
- कर्नाटक सरकार के विज्ञापन से नेहरू नदारद
- काग्रेस ने कहा- विभाजन की त्रासदी का नफरत को बढ़ावा देने के लिए दुरुपयोग
नई दिल्ली:
भाजपा 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाती है. इसआयोजन के पीछे का मकसद देश विभाजन की त्रासदी को युवा पीढ़ी के सामने रखना है. और ऐसी त्रासदी के कारणों को फिर से देश में सर उठाने से रोकना है. लेकिन भाजपा के इस आयोजन का प्रमुख बिंदु अब नेहरू विरोध हो गया है. भाजपा देश की हर समस्या के लिए जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहरा रही है, और विभाजन के लिए भी नेहरू को कोस रही है.
ताजा विवाद यहां से शुरू होता है. भाजपा ने आज यानि रविवार को एक वीडियो जारी किया, जिसमें कांग्रेस पर 1947 के भारत विभाजन का आरोप लगाया गया और उसके नेता जवाहरलाल नेहरू को मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग की मांगों के आगे झुकने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की असली मंशा भारत के इतिहास के एक दर्दनाक हिस्से को 'राजनीतिक चारे' के रूप में इस्तेमाल करना है.
जैसा कि देश ने अपने दूसरे विभाजन के विभीषिका स्मरण दिवस को चिह्नित किया, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 1947 की विभीषिका घटनाओं के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने "हमारे इतिहास के एक दुखद दौर को झेला".
बीजेपी ने विबाजन के लिए नेहरू को ठहराया जिम्मेदार
बीजेपी ने वीडियो के साथ ट्वीट किया, 'जिन्हें भारत की सांस्कृतिक विरासत, सभ्यता, मूल्यों, तीर्थों का ज्ञान नहीं था, उन्होंने महज तीन हफ्तों में सदियों से साथ रहने वाले लोगों के बीच की सीमा खींच दी. उस समय वे लोग कहां थे जिन पर इन विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ लड़ने की जिम्मेदारी थी?" वीडियो, हालांकि, उस समय लिए गए निर्णयों की घटनाओं की श्रृंखला की कई व्याख्याओं में से एक है.
जिन लोगों को भारत की सांस्कृतिक विरासत, सभ्यता, मूल्यों, तीर्थों का कोई ज्ञान नहीं था, उन्होंने मात्र तीन सप्ताह में सदियों से एक साथ रह रहे लोगों के बीच सरहद खींच दी।
— BJP (@BJP4India) August 14, 2022
उस समय कहाँ थे वे लोग जिन पर इन विभाजनकारी ताक़तों के ख़िलाफ़ संघर्ष करने की ज़िम्मेदारी थी?#विभाजन_विभीषिका pic.twitter.com/t1K6vInZzQ
भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जो वीडियो डाला है, उसमें उसने उन घटनाओं का अपना संस्करण बताया है जो विभाजन की ओर ले गईं. यह स्पष्ट रूप से नेहरू और मुहम्मद अली जिन्ना का नाम लेते हुए कांग्रेस, मुस्लिम लीग और कम्युनिस्टों को दोषी ठहराता है. यह तर्क देता है कि 1905 के बंगाल विभाजन को बड़े पैमाने पर विरोध के कारण अंग्रेजों द्वारा "वापस लेना" पड़ा. वीडियो में वर्णनकर्ता कहता है कि नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस, जिन्ना के नेतृत्व वाली लीग और कम्युनिस्ट पार्टियां तत्कालीन और 1947 के बीच अंतर करने वाले कारक थे.
भाजपा ने विभाजन के अभिलेखीय फुटेज का उपयोग नाटकीय पृष्ठभूमि संगीत और एक दृश्य से दूसरे दृश्य में तेज कट के साथ किया है, जिसे हिंदी में वॉयसओवर के साथ मढ़ा गया है. यह 1947 और अन्य समय की हिंसा को दर्शाता है, इसके अलावा नेहरू और जिन्ना को ब्रिटिश अधिकारियों के साथ बैठकों में दिखाया गया है, जिसमें सिरिल रेडक्लिफ भी शामिल हैं, जिन्हें विभाजन के नक्शे को अंतिम रूप देने का काम सौंपा गया था. वर्तमान भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली रेडक्लिफ रेखा का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है.
भाजपा के वीडियो में कहा गया है कि रेडक्लिफ को विभाजन के लिए "आमंत्रित" किया गया था, भले ही वह पहले कभी भारत नहीं आए थे और उन्हें भारत के लोगों और संस्कृति के बारे में "कोई सुराग नहीं" था. वीडियो में दावा किया गया है कि रैडक्लिफ ने केवल तीन हफ्तों में देश के नागरिकों का भाग्य बदल दिया और "भारत के निर्दोष लोगों" को पता नहीं था कि विभाजन होगा.
विभाजन की त्रासदी का नफरत को बढ़ावा देने के लिए दुरुपयोग
भाजपा के वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 1947 की दर्दनाक घटनाओं का उपयोग "अपनी वर्तमान राजनीतिक लड़ाई के लिए चारे के रूप में कर रहे हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विभाजन की त्रासदी, नफरत को बढ़ावा देने के लिए दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है और उन्होंने कहा कि नफरत की राजनीति को हरा दिया जाएगा और महात्मा गांधी, नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल की विरासत को कायम रखते हुए कांग्रेस भारत को एकजुट करने के अपने प्रयास जारी रखेगी.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “प्रधानमंत्री का 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस के रूप में चिह्नित करने का वास्तविक इरादा सबसे दर्दनाक ऐतिहासिक घटनाओं को अपनी वर्तमान राजनीतिक लड़ाई के लिए चारे के रूप में उपयोग करना है. लाखों लोग विस्थापित हुए और अपनी जान गंवाई. उनके बलिदानों को भुलाया या अपमानित नहीं किया जाना चाहिए. ”
“विभाजन की त्रासदी, नफरत और पूर्वाग्रह को बढ़ावा देने के लिए दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है. सच तो यह है कि सावरकर ने 2-राष्ट्र सिद्धांत की उत्पत्ति की और जिन्ना ने इसे सिद्ध किया. उन्होंने यह भी कहा कि, सरदार पटेल ने लिखा, 'मुझे लगा कि अगर हमने विभाजन को स्वीकार नहीं किया, तो भारत कई टुकड़ों में बंट जाएगा और पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा.',
मोदी ने पिछले साल घोषणा की थी कि लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
कर्नाटक सरकार के विज्ञापन से नेहरू नदारद
कर्नाटक सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में एक विज्ञापन जारी किया है. इस विज्ञापन में भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू का जिक्र नहीं है. कर्नाटक सरकार ने अपने विज्ञापन में महात्मा गांधी, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद सहित 12 स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें दीं लेकिन नेहरू को छोड़ दिया.
कांग्रेस के वरिय़्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, नेहरू इस तरह के संकीर्ण विचारों से बचे रहेंगे. सीएम कर्नाटक अपनी नौकरी बचाने के लिए बेताब हैं, जानते हैं कि उन्होंने जो किया है वह उनके पिता एस.आर. बोम्मई और उनके पिता के पहले राजनीतिक गुरु एमएन रॉय दोनों का अपमान है. यह दयनीय है.
यह भी पढ़ें: तिब्बत का विकास छलावा, चीन इस तरह कर रहा तिब्बती संस्कृति को नष्ट
जयराम रमेश ने आगे कहा, क्या पीएम आज जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद करेंगे, जिन्होंने शरत चंद्र बोस की इच्छा के खिलाफ बंगाल के विभाजन का समर्थन किया था, और जो स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में थे, जबकि विभाजन के दुखद परिणाम स्पष्ट हो रहे थे?
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