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ब्राजील की 'राजकीय यात्रा' पर है उधार पर लिया सम्राट का 'दिल'... बेहद रोचक है कहानी

पुर्तगाल की सरकार ब्राजील को उसकी आजादी के द्विशताब्दी उत्सव के लिए सम्राट डोम पेड्रो-प्रथम का रसायनों के लेप से सुरक्षित रखा दिल तीन हफ्ते के लिए देने को राजी हो गई है. अब यह दिल राजधानी ब्रासीलिया पहुंच चुका है.

Updated on: 25 Aug 2022, 08:47 PM

highlights

  • पुर्तगाल ने ब्राजील के पहले सम्राट पेड्रो का दिल तीन हफ्ते के लिए उधार पर दिया
  • ब्राजील इस साल अपनी आजादी का द्विशताब्दी उत्सव बड़े पैमाने पर मना रहा है
  • राष्ट्रपति बोल्सोनारो की पेड्रो के दिल की आड़ में राजनीति करने पर हो रही आलोचना

ब्रासीलिया:

ब्राजील इस साल आजादी का द्विशताब्दी उत्सव मना रहा है. इस समारोह में शामिल है ब्राजील के पहले सम्राट डोम पेड्रो प्रथम का रसायनों के लेप से सुरक्षित रखा दिल. 7 सितंबर 1822 को डोम पेड्रो प्रथम ने पुर्तगाल से ब्राजील (Brazil) की स्वतंत्रता की घोषणा की थी. ऐसे में ब्राजील की आजादी के द्विशताब्दी समारोह के लिए पुर्तगाल (Portugal) सरकार तीन हफ्तों के लिए डोम पेड्रो प्रथम का रसायनों में लिपटा दिल उधार पर देने को राजी हो गई. पुर्तगाल ने डोम पेड्रो प्रथम (Dom Pedro I) के दिल को रसायनों में लपेट संरक्षित कर रखा है. अब डोम पेड्रो का यह दिल राजधानी ब्रासीलिया (Brasilia) एयरफोर्स के प्लेन से पहुंच चुका है. ब्राजील में जब तक पेड्रो का दिल रहेगा और जहां-जहां जाएगा उसे राजकीय यात्रा (State Visit) का दर्जा दे यथोचित सम्मान दिया जाएगा. यही नहीं, ब्राजील के स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद पुर्तगाल को उसे वापस करने से पहले पूर्ण अतिथि सम्मान के साथ सलामी देते हुए विदाई दी जाएगी. 

'द लिबरेटर' पेड्रो प्रथम
1807 में जब नेपोलियन और उसकी सेना ने पुर्तगाल पर विजय प्राप्त की, तो पेड्रो समेत शाही परिवार भाग कर ब्राजील आ पहुंचा, जो उस वक्त पुर्तगाल का फलता-फूलता उपनिवेश था. लिस्बन में 1821 में राजनीतिक क्रांति की वजह से उनके पिता सम्राट जॉन को पुर्तगाल लौटना पड़ा और तब तक पेड्रो ब्राजील में राज प्रतिनिधि के तौर पर रहे. उस वक्त पेड्रो 22 साल के हो चुके थे. 1808 तक ब्राजील को राजनीतिक स्वायत्ता का दर्जा प्राप्त था, जिसे पुर्तगाली संसद ने उपनिवेशक दर्जा बरकरार रखने का प्रस्ताव पेश कर खतरे में डाल दिया. इस कड़ी में पुर्तगाली संसद ने पेड्रो से वापस लिस्बन लौटने को कहा, तो उन्होंने ब्राजील को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया. लिस्बन लौटने के तीन महीने के भीतर ही पेड्रो को सम्राट का ताज पहना दिया गया और साल भर के अंदर ही पुर्तगाल के प्रति वफादार सभी सेनाओं को पेड्रो ने हरा दिया. पेड्रो ने 1831 में सिंहासन छोड़ दिया और वापस पुर्तगाल चले गए. वहां उन्होंने पुर्तगाल को राजशाही में परिवर्तित करने के लिए संविधानवादियों के समर्थन में पुर्तगाली सेना के नेतृत्व किया. यही वजह है कि पुर्तगाल भी उन्हें प्रतिनिधि शासन के चैंपियन के रूप में पूजता है.

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रसायनों के लेप से सुरक्षित रखा पेड्रो का दिल
1834 में डोम पेड्रो की महज 35 साल की उम्र में टीबी की वजह से मौत हो गई. मौत से पहले उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उनका दिल निकाल लिया गया. फिर उसे रसायनों के लेप से सुरक्षित रख पुर्तगाल के पोर्टो शहर में चर्च ऑफ ऑर लेडी में एक वेदी पर रख दिया गया. 1972 में जब ब्राजील अपनी स्वतंत्रता के 150 साल का उत्सव मना रहा था, तो डोम पेड्रो के दिल को छोड़ कर उनका बाकी शरीर ब्रासीलिया को सौंप दिया गया. डोम पेड्रो के शरीर के अवशेष साओ पाउलो के एक संग्रहालय में रखे हुए हैं. हालांकि डोम पेड्रो प्रथम का दिल कलश के आकार के फूलदान में फामेल्डिहाइड के बीच सुरक्षित रखा है. इस फूलदान का वजन 9 किग्रा है, जिसे फिलहाल ब्राजील के विदेश मंत्रालय के मुख्यालय इटमाराटी पैलेस में 17 दिनों तक आम ब्राजील वासियों के दर्शन के लिए रखा गया है.

दिल को लेकर राष्ट्रपति पर राजनीति करने का आरोप
रसायनों के लेप से 188 साल से सुरक्षित रखा डोम पेड्रो प्रथम का दिल ब्राजील की आजादी के द्विशताब्दी उत्सव के केंद्र में है. ब्राजील में पेड्रो प्रथम के दिल का आगमन ब्राजील वासियों को एक अवसर उपलब्ध करा रहा है कि वे ब्राजील की स्वतंत्रता के केंद्रीय नायक को अपनी-अपनी श्रद्धांजलि दे सकें. इस दिल को सोमवार को ब्राजील एयरफोर्स के विमान से ब्रासीलिया लाया गया था. ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो ने तोपों की सलामी के बीच फूलदान में रखे दिल का स्वागत किया. हालांकि जेयर बोल्सोनारो की इस बात को लेकर आलोचना हो रही है कि वह दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए डोम पेड्रो प्रथम के दिल का इस्तेमाल कर रहे हैं. खैर, ब्राजील की राजकीय यात्रा पर आए पेड्रो के दिल की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुर्तगाली पुलिस के जिम्मे है. 

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अजर-अमर रहेगा डोम पेड्रो प्रथम का दिल
रसायनों के लेप से मृत शरीर को सुरक्षित रखने की परंपरा सदियों पुरानी है. इसकी शुरुआत प्राचीन मिस्रवासियों के ममीकरण से हुई थी. हालांकि प्राचीन मिस्र में मृत शरीर के दिल को छोड़कर बाकी सारे अंग निकाल लिए जाते थे. प्राचीन मिस्र के बाद द लॉयन हार्ट के नाम से लोकप्रिय सम्राट रिचर्ड प्रथम की मौत के बाद उनका दिल रसायनों के लेप से सुरक्षित रखने के लिए रॉउन भेजा गया. 1199 में रिचर्ड प्रथम के दिल को रसायनों के लेप से सुरक्षित रख नॉत्रेडम की चर्च में पत्थर की कब्र में रख दिया गया, जिस पर रिचर्ड प्रथम की छवि अंकित थी. सम्राट रिचर्ड प्रथम के दिल को लेड से बने छोटे डिब्बे में रखा गया था, जिसके ढक्कन पर लिखा हुआ था- यह इंग्लैंड के राजा रिचर्ड का दिल है. 2015 में फ्रांस के रीन्स शहर में लेड से बने फूलदान में रसायनों से सुरक्षित रखे गए पांच दिल मिले थे. ये सभी दिल कॉन्वेंट ऑफ जैकोबिन्स के तहखाने में रखे थे. कुछ मामलों में शव को उसके प्रियतम या प्रेयसी के रसायनों के लेप से सुरक्षित रखे दिल के साथ दफनाने के मामले भी सामने आए हैं.