यूक्रेन को लेकर इतना जुनूनी क्यों हैं पुतिन, क्या फिर बनेगा रूस का हिस्सा ?
तो क्या रूस का यह आक्रामक मुद्रा सिर्फ धौंस है या फिर पुतिन यूक्रेन पर हमले को लेकर वाकई गंभीर हैं?
highlights
यूक्रेन की सीमा पर रूसी सेना की मौजूदगी से लगातार बढ़ रही चिंता
अब तक रूसी राष्ट्रपति को मनाने के लिए कई राजनयिक प्रयास किए गए
अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, वर्षों से यूक्रेन पर पकड़ बनाने की कोशिश में जुटे हैं पुतिन
नई दिल्ली:
संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी यूक्रेन की सीमा पर रूसी सेना की मौजूदगी से लगातार चिंता बढ़ रही है. रूस से चल रहे गतिरोध के बीच यूक्रेन की सेना ने कहा कि पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक अलगाववादियों की गोलाबारी में दो सैनिक मारे गए हैं. यूक्रेन के साथ बढ़ते संघर्ष को देखते हुए सेना की वापसी का आदेश देने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मनाने के लिए कई राजनयिक प्रयास किए गए हैं, लेकिन प्रयासों के कोई बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं. अमेरिका और उसके सहयोगियों का कहना है कि 1.5 लाख से अधिक रूसी सैनिक यूक्रेन की सीमा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर तैनात हैं और पूरी तरह हमले के लिए तैयार है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का शुक्रवार का बयान कि रूस यूक्रेन पर जल्द ही हमला कर सकता है. खुफिया एजेंसियों द्वारा किए गए आकलन और मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी उपग्रह तस्वीरों के जरिये यह स्पष्ट है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार है. तस्वीरों से पता चलता है कि ओपुक और येवपटोरिया रेलयार्ड में सैनिक मौजूद हैं, जिन्हें वर्ष 2014 में यूक्रेन से ये दोनों इलाके रूस द्वारा जब्त किए गए थे. फिर डोनुज़्लाव और नोवोज़र्नॉय झील की साइटों में बख्तरबंद वाहनों और टैंकों की तैनाती भी देखी जा रही है. रूस ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेरने के लिए सैन्य अभ्यास के लिए बेलारूस भी भेजा है, जिसे पश्चिमी देश कहता है कि जब तक मास्को की सुरक्षा मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वह हमले की तैयारी में है. तो क्या रूस का यह आक्रामक मुद्रा सिर्फ धौंस है या फिर पुतिन यूक्रेन पर हमले को लेकर वाकई गंभीर हैं? इस हमले को लेकर पुतिन के दिमाग में क्या चल रहा है?
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
यूक्रेन संकट को लेकर विशेषज्ञों की अपनी राय है. रूसी नेता के दृष्टिकोण और यूक्रेन के प्रति उनके जुनून को लेकर विशेषज्ञ अलग से रेखांकित करते हैं. ट्रंप प्रशासन में सेवा कर चुके एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी और नीति सलाहकार फियोना हिल के अनुसार, पुतिन वर्षों से यूक्रेन पर पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने वर्ष 2006 में यूक्रेन की गैस पाइपलाइन काट दी थी. वह 22 साल से सत्ता में है और उस पूरे समय में उसने यूक्रेन को टारगेट पर रखा है और यह समय के साथ और आक्रामक हो गया है. हिल ने कहा, "पुतिन वह व्यक्ति बनना चाहते हैं, जो अपनी अध्यक्षता में यूक्रेन को वापस रूस में शामिल कर सके और 2036 तक राष्ट्रपति बना रह सके. उनके लिए क्या यह संभव है?रूसी राष्ट्रपति पर वाशिंगटन के अग्रणी विशेषज्ञ हिल ने दावा किया कि यह पुतिन की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है जो रूसी साम्राज्य" बनाना चाहते हैं. यूक्रेन जो बाहरी है, और दूर हो चुका है कि उसे वह वापस लाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि 2015 के एक भाषण में पुतिन ने यूक्रेन को 'रूस का ताज और गहना' कहा था. इस पर अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चिंता जताई थी कि वह फिर से देश को जोड़ना चाहते हैं. रूस द्वारा यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर आक्रमण करने और कब्जा करने के ठीक एक साल बाद यह बयान दिया गया था, जिसमें अलगाववादियों के साथ सहानुभूति का प्रदर्शन किया गया था.
जब पुतिन ने विभाजनकारी ताकतों को ठहराया था जिम्मेदार
हाल ही में जुलाई, 2021 में रूसी राष्ट्रपति ने एक आलेख लिखा था जिसमें उन्होंने रूस और यूक्रेन को एक करार दिया था और यूक्रेन को रूस का हिस्सा बताते हुए एक संपूर्ण बताया था. उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच दीवार बनाने के लिए विभाजनकारी ताकतों को जिम्मेदार ठहराया. फिर उन्होंने एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य दिया कि क्यों यूक्रेन को रूस से अलग देश नहीं होना चाहिए.
क्या चाहता है रूस
विश्लेषकों का कहना है कि पुतिन चाहते हैं कि रूस की परिधि के सभी देश रूस समर्थक हों और यही कारण है कि यूक्रेनी सरकार द्वारा पश्चिम के नेतृत्व वाले नाटो गठबंधन के प्रति किए गए प्रस्तावों ने उन्हें नाराज कर दिया. सीआईए के रूसी कार्यक्रम के पूर्व प्रमुख जॉन सिफर ने सीएनएन को बताया, रूस चाहता है कि उसकी विरासत अतीत के जार या सोवियत संघ के प्रमुखों की तरह हो. पुतिन रूस को एक ऐसे स्तर पर ले जाना चाहते हैं जहां विश्व मंच पर उसका डर, सम्मान और गंभीरता से व्यवहार किया जाता हो. उन्होंने कहा कि पुतिन चाहते हैं कि लोग रूस आएं और अपनी समस्याओं का समाधान कराएं और यही वजह है कि केजीबी के पूर्व अधिकारी अपनी ताकत झोंक रहे हैं. इस बीच, मास्को ने अपने पश्चिमी पड़ोसी पर हमला करने की योजना से इनकार किया है, लेकिन यह गारंटी की मांग कर रहा है कि यूक्रेन कभी नाटो में शामिल नहीं होगा और पश्चिमी गठबंधन पूर्वी यूरोप से सेना को हटा देगा. हालांकि, पश्चिम ने इन मांगों को मानने से इनकार कर दिया है.
1991 में सोवियत संघ से अलग हुआ था रूस
वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन को स्वतंत्रता मिली थी. उसके बाद से यह पश्चिमी यूरोप के साथ करीबी रिश्ते बनाना चाहता है मगर रूस को लगता है कि यूक्रेन का पश्चिम के पाले में जाना उसके लिए ठीक नहीं होगा. यही कारण है कि यूक्रेन पश्चिम और रूस की खींचतान के बीच फंसा हुआ है.
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