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Sonali Bendre On South Cinema: बहुत मुश्किल है साउथ फिल्मों में काम करना, सोनाली बेंद्रे ने क्यों कही ये बात?

सोनाली बेंद्रे इन दिनों जी5 पर रिलीज हुई सीरीज 'द ब्रोकन न्यूज' (The Broken News) को लेकर चर्चा में हैं. इसमें एक्ट्रेस ने एक जनर्लिस्ट का किरदार निभाया है.

Updated on: 05 May 2024, 09:11 PM

नई दिल्ली:

Sonali Bendre On South Cinema: बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे (Sonali Bendre) अब ओटीटी पर धमाल मचा रही हैं. एक्ट्रेस की वेब सीरीज 'द ब्रोकन न्यूज' (The Broken News 2) का सीजन 2 हाल में रिलीज हुआ है. फिल्मों में अपने अभिनय और खूबसूरती के दम पर वो पहले ही सबकी फेवरेट रही हैं. खासतौर पर सोनाली को 'हम साथ-साथ' में 'प्रीति' के किरदार में पसंद किया है. उनकी जोड़ी सलमान खान के साथ बनी थी. बॉलीवुड के अलावा सोनाली साउथ सिनेमा में भी काम कर चुकी हैं. उन्होंने चिरंजीवी, महेश बाबू जैसे सुपरस्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर की थी. हालांकि, एक्ट्रेस का मानना है कि साउथ इंडस्ट्री में काम करना उनके लिए काफी मुश्किलों भरा रहा था. 

पैन इंडिया फिल्में कर चुकी हैं सोनाली
सोनाली बेंद्रे ने एक इंटरव्यू में साउथ फिल्मों में काम करने के अपने अनुभव को बताया है. डिजिटल प्लैटफॉर्म को दिए इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने कहा कि पैन इंडिया शब्द पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि मैं हिंदी से लेकर मराठी, कन्नड़, तमिल और तेलुगु फिल्मों में भी काम कर चुकी हूं. उन्होंने अमोल पालेकर के साथ मराठी फिल्म ‘अनाहत’ में काम करने को  यादगार अनुभव बताया. 

साउथ में काम करना रहा मजेदार
सोनाली ने कहा कि उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया है, लेकिन तेलुगु सिनेमा में काम करना उन्होंने काफी एंजॉय किया. सोनाली कहती हैं, तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के लोग बहुत प्यारे हैं. वहां के फिल्म सेट आपको एक जैसे ही लगते हैं. वहां का म्यूजिक और फिल्मों के लिए उनका पैशन एक्टर के तौर पर आपको इंस्पायर करता है." 

इस वजह से सोनाली को हुई मुश्किलें
सोनाली को साउथ इंडस्ट्री में कुछ मुश्किलें भी झेलनी पड़ी. उनके लिए भाषा के साथ तालमेल बैठाना सबसे बड़ा चैलेंज था. सोनाली बताती हैं कि, दुर्भाग्य से, हिंदी और मराठी के अलावा उन्हें तमिल तेलुगु औक कन्नड़ भाषा नहीं आती थी.  इसलिए उनके लिए शूटिंग काफी मुश्किलों से भरी होती थी. वो टेंशन में आ जाती थीं क्योंकि कभी-कभी उन्हें डायलॉग का अर्थ समझ में आ जाता था, लेकिन शब्द याद नहीं होते थे बिना मतलब जाने डायलॉग बोलना से संतुष्टि नहीं मिल पाती. साउथ सिनेमा में हिंदी के मुकाबले उनको चार गुना ज्यादा काम करना पड़ता था.”