Chandrayaan-2 मिशन का अभी सब कुछ खत्म नहीं, चांद के चारों ओर घूम रहा है ऑर्बिटर
विशेषज्ञों का कहना है कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एकदम सामान्य है और वह चांद की लगातार परिक्रमा कर रहा है.
नई दिल्ली:
भारत के चंद्र मिशन को शनिवार तड़के उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया. इसके साथ ही 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का भविष्य अंधेरे में झूल गया है. भारत के मून लैंडर विक्रम के भविष्य और उसकी स्थिति के बारे में भले ही कोई जानकारी नहीं है कि यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया या सिर्फ उसका संपर्क टूट गया, लेकिन 978 करोड़ रुपये लागत वाला चंद्रयान-2 मिशन का सब कुछ खत्म नहीं हुआ है.
यह भी पढ़ेंः आखिरी के वो 15 मिनट, जब विक्रम लैंडर से कैसे टूट गया संपर्क
अभी इस मिशन को असफल नहीं कहा जा सकता है. लैंडर से पुन: संपर्क स्थापित हो सकता है. अगर लैंडर विफल भी हो जाए तब भी भारत चांद से जुड़े कई अहम अध्ययन कर सकता है. क्योंकि लैंडर जिस ऑर्बिटर से अलग हुआ था, वो अभी भी चांद की लगातार परिक्रमा कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एकदम सामान्य है और वह चांद की लगातार परिक्रमा कर रहा है.
यह भी पढ़ेंः चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने पर पाकिस्तान के मंत्री का बेहूदा बयान, 'नीचता' पर हो गए ट्रोल
बताया जा रहा है कि ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा की सतह से 119 किमी से 127 किमी की ऊंचाई पर परिक्रमा लगा रहा है. ऐसे में लैंडर और रोवर की स्थिति पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा. 2,379 किलो वजनी चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एक साल तक 8 पेलोड के साथ काम करेगा. ऑर्बिटर के साथ लगे सभी 8 पेलोड के अलग-अलग काम हैं.
- पहला काम- पेलोड के जरिए चांद की सतह का नक्शा तैयार किया जाएगा. जो चांद के अस्तित्व और उसके विकास का पता लगाने में मदद करेगा.
- दूसरा काम- पेलोड से ही चंद्रमा की सतह की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें ली जाएंगी.
- तीसरा काम- चांद पर मैग्नीशियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन और सोडियम की मौजूदगी का पता लगाना होगा.
- चौथा काम- सूरज की किरणों में मौजूद सोलर रेडिएशन की तीव्रता को मापी जा सकती हैं.
- पांचवां काम- अभी भी चांद के बाहरी वातावरण को स्कैन किया जा सकता है.
- छठा काम- चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में गड्ढों में बर्फ के रूप में जमा पानी की खोज करना.
- सातवां काम- दक्षिणी ध्रुव पर खनिजों के साथ-साथ पानी का भी पता लगाना.
- आठवां काम- लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए चांद की सतह पर चट्टान या गड्ढे को पहचानना.
यह भी पढ़ेंः Chandrayaan 2 Landing: पूरे देश को ISRO के वैज्ञानिकों पर भरोसा, देखें किसने क्या कहा
बता दें कि ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया. सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था. लैंडर को रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया. ‘विक्रम’ ने ‘रफ ब्रेकिंग’ और ‘फाइन ब्रेकिंग’ चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था, लेकिन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया. इसके साथ ही वैज्ञानिकों और देश के लोगों के चेहरे पर निराशा की लकीरें छा गईं.
यह वीडियो देखेंः
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
MS Dhoni : धोनी के चक्कर में फैन ने कर लिया गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप, कारण जाकर उड़ जाएंगे आपके होश
-
KKR vs DC Dream11 Prediction : कोलकाता और दिल्ली के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुनें कप्तान
-
KKR vs DC Head to Head : कोलकाता और दिल्ली में होती है कांटे की टक्कर, हेड टू हेड आंकड़ों में देख लीजिए
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Weekly Horoscope 29th April to 5th May 2024: सभी 12 राशियों के लिए नया सप्ताह कैसा रहेगा? पढ़ें साप्ताहिक राशिफल
-
Varuthini Ekadashi 2024: शादी में आ रही है बाधा, तो वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर दान करें ये चीज
-
Puja Time in Sanatan Dharma: सनातन धर्म के अनुसार ये है पूजा का सही समय, 99% लोग करते हैं गलत
-
Weekly Horoscope: इन राशियों के लिए शुभ नहीं है ये सप्ताह, एक साथ आ सकती हैं कई मुसीबतें