logo-image

दिवाली पर बुजुर्ग और बच्चों को पटाखों के शोर से कैसे बचाएं, यहां जानिए सटीक टिप्स

आज हम आपको बताएंगे कि पटाखों की आवाज के बीच आप अपने बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता को कैसे सुरक्षित रखें.

Updated on: 10 Nov 2023, 05:38 PM

नई दिल्ली:

इसमें कोई शक नहीं कि दिवाली पर पटाखों से प्रदूषण होता है, लेकिन इसके साथ ही पटाखों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण भी होता है, जिससे सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों और बच्चों को होती है. आजकल मार्केट ऐसे पटाखे मिल रहे हैं जिनकी आवाज इतनी खतरनाक होती है कि अगर कोई पास में हो तो वह आवाज से ही गिर सकता है. क्या आप समझते हैं कि इन उच्च स्तरीय आवाजों के कारण बच्चों और बुजुर्गों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता है? आज हम आपको बताएंगे कि पटाखों की आवाज के बीच आप अपने बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता को कैसे सुरक्षित रखें.

दिवाली के प्रदूषण और पटाखों के शोर से बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित रखने के लिए ये तरीका अपना सकते हैं

बच्चों के लिए ये टिप्स काम आएगा

जागरूकता बढ़ाएं:- बच्चों को प्रदूषण और शोर के बारे में शिक्षा दें और उन्हें यह समझाएं कि ये समस्याएं कैसे हो सकती हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है.

सुरक्षित खेलने का स्थान:- बच्चों के लिए एक सुरक्षित खेलने का स्थान ढूंढें जहां वे दिवाली के दिनों में खेल सकते हैं और पटाखों का उपयोग न करें.

पटाखों का सही तरीके से उपयोग:- अगर आपके बच्चे पटाखों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उन्हें सिखाएं कि वे इसे सुरक्षित तरीके से कैसे जलाएं.

वृक्षारोपण कार्यक्रम:- बच्चों को प्रकृति के प्रति जागरूक करने के लिए वृक्षारोपण के कार्यक्रमों में शामिल करें.

क्रिएटिव और नाटकीय गतिविधियां:- बच्चों के लिए अलग-अलग क्रिएटिव और नाटकीय गतिविधियों का आयोजन करें जो उन्हें मनोरंजन करने में मदद कर सकती हैं, और वे पटाखों के बजाय इसमें शामिल हों.

बुजुर्गों के लिए ये कारगर है तरीक

आरामपूर्वक महसूस कराएं:- बुजुर्ग व्यक्तियों को शोर और प्रदूषण से बचाने के लिए एक आरामपूर्वक महसूस करने का स्थान प्रदान करें.

सुरक्षित स्थान प्रदान करें:- यदि आप बुजुर्ग व्यक्तियों के साथ हैं और वे पटाखों के शोर या प्रदूषण को नहीं तोल सकते हैं, तो उनके लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करें जहां वे यह सब एक सुरक्षित तरीके से देख सकते हैं.

आत्म-मनोबल बढ़ाएं:- दिवाली के दौरान बुजुर्ग व्यक्तियों को समर्थन और स्नेह का महसूस कराएं ताकि उनका आत्म-मनोबल बना रहे.

आत्म-प्रसाद सुनिश्चित करें:- उनको यह सुनिश्चित करें कि वे आत्म-प्रसाद बनाए रख सकते हैं, और उन्हें प्रदूषण और शोर के कारण चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.