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Mythological Story: मां लक्ष्मी और सीता माता में क्या था संबंध, जानें ये पौराणिक कथा 

Mythological Story: मां लक्ष्मी और मां सीता के बीच एक गहरा संबंध है. दोनों ही देवियां हिन्दू धर्म में प्रसिद्ध हैं और उन्हें धन, समृद्धि, सौभाग्य, और सुख-शांति की देवियां माना जाता है. मां लक्ष्मी को धन, संपत्ति, और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है.

Updated on: 02 Feb 2024, 02:21 PM

नई दिल्ली :

Mythological Story: मां लक्ष्मी और मां सीता के बीच एक गहरा संबंध है. दोनों ही देवियां हिन्दू धर्म में प्रसिद्ध हैं और उन्हें धन, समृद्धि, सौभाग्य, और सुख-शांति की देवियां माना जाता है. मां लक्ष्मी को धन, संपत्ति, और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है, जबकि मां सीता को पतिव्रता, संयम, और पतिव्रता की प्रतिष्ठा की देवी माना जाता है. माता सीता और माता लक्ष्मी दोनों ही हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं, और उनका संबंध धर्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में गहरा है. माता सीता, प्रभु राम की पत्नी, धर्मपत्नी और पतिव्रता की प्रतिष्ठा के प्रतीक हैं. उन्हें मां धरती का अवतार माना जाता है और उनका उत्सव रामनवमी के रूप में मनाया जाता है. माता सीता की प्रेम, साहस, और समर्पण की कथाएं हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण हैं और उनके चरित्र को महिलाओं के लिए एक आदर्श माना जाता है. माता लक्ष्मी, धन, समृद्धि, सौभाग्य, और धन की देवी मानी जाती हैं. वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं और उन्हें नारायणी, पद्मिनी, विष्णुप्रिया, और श्रीदेवी भी कहा जाता है. उन्हें दिवाली के उत्सव के साथ नारायण के साथ भी पूजा जाता है. माता सीता और माता लक्ष्मी दोनों ही मां की भूमिका में महत्वपूर्ण हैं और उनका संबंध भक्ति और श्रद्धा के साथ है. दोनों की पूजा, अर्चना, और स्तुति से विशेष धर्मिक और आध्यात्मिक लाभ होता है. 

एक कथा के अनुसार, जब मां सीता को रावण ने अयोध्या से चित्रकूट पर्वत ले जाया, तो वहाँ उन्होंने माँ लक्ष्मी की तपस्या की थी. मां लक्ष्मी ने उन्हें अपनी कृपा से आशीर्वाद दिया था. इस प्रकार, मां सीता और मां लक्ष्मी का संबंध धर्मिक और सामाजिक संदेशों के साथ जड़ा हुआ है, जो महिलाओं के प्रति सम्मान और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है. 

कथा के अनुसार, एक बार माता सीता को पति भगवान राम के साथ अयोध्या से वनवास गुजारने का समय आया. उन्होंने अपने पति के साथ तपस्या के लिए जंगल में चले गए. एक दिन, उन्होंने एक पुष्पित बृज पर एक आदमी को देखा जो बहुत ही भूखा-प्यासा और दुर्बल था. माता सीता ने उसे पूछा, "भगवान, तुम कौन हो और तुम्हें क्या चाहिए?" उस आदमी ने कहा, "मैं एक गरीब व्यक्ति हूँ और मेरा नाम धनुषधारी है. मैं अपने परिवार को पालने के लिए भोजन के लिए भिक्षा मांग रहा हूं." सीता ने उसकी सहायता की और उसे भोजन दिया.

धनुषधारी को खाने के बाद, वह धन्य हो गया और धन्यता अर्पित करते हुए उसने माता सीता से पूछा, "आप किस देवी की अवतार हैं?" माता सीता ने उत्तर दिया, "मैं माता लक्ष्मी की अवतार हूं." धनुषधारी ने पूछा, "तब आप यहां क्यों हैं?" माता सीता ने कहा, "मैं धन और समृद्धि के लिए लोगों की सेवा करने के लिए यहां हूं."

सुनकर, धनुषधारी ने कहा, "मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं." उसने तत्काल व्रत और तप की शुरुआत की और लंबे समय तक अपनी तपस्या जारी रखी. माता सीता ने उसकी तपस्या को देखकर धन्यवाद दिया और उसे आशीर्वाद दिया कि वह धन और समृद्धि से युक्त हों. इस प्रकार, माता सीता ने माता लक्ष्मी के लिए तपस्या की और धनुषधारी को धन और समृद्धि प्रदान की.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)