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Vat Savitri Vrat 2023: जानें कब है वट सावित्री व्रत, इस दिन जरूर करें ये महाउपाय

हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा और अमावस्या पर पत्नी अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत रखते हैं.

Updated on: 07 Apr 2023, 06:07 PM

नई दिल्ली :

Vat Savitri Vrat 2023 : हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा और अमावस्या पर पत्नी अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत रखते हैं. ये व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से विवाहिता के दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. ऐसी मान्यता है कि ये व्रत ज्येष्ठ माह में दो अमावस्या और पूर्णिमा पर रखा जाता है. बता दें इस साल वट सावित्री दिनांक 19 मई को अमावस्या तिथि के दिन रखी जाएगी और दिनांक 3 जून को पूर्णिमा तिथि पर रखी जाएगी. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि वट सावित्री व्रत कब है, शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा विधि क्या है, इस दिन कौन से उपाय करना लाभकारी साबित होता है. 

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जानें कब है वट सावित्री व्रत 
वट सावित्री व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा कहते हैं, कि व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है. ये व्रत ज्येष्ठ माह में दो बार अमावस्या और पूर्णिमा पर रखा जाता है. इस साल अमावस्या वट सावित्री दिनांक 19 मई को है  और वट सावित्री पूर्णिमा दिनांक 3 जून को है. 

जानें क्या है पूजा मुहूर्त 
दिनांक 19 मई को वट सावित्री सुबह 07 बजकर 19 मिनट से लेकर 10 बजकर 42 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है. इस दिन शनि जयंती भी है. वहीं दिनांजक 03 जून को वट सावित्री पूर्णिमा पर सुबह 07 बजकर 16 मिनट से लेकर 08 बजकर 59 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है. इस दिन शिव, सिद्धि और रवि योग भी बन रहा है. 

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इस विधि से करें पूजा 
इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. क्योंकि इस पेड़ में भगवान विष्णु, ब्रह्मा और महेश का वास होता है. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है और सभी संकटों का भी नाश होता है. इस दिन सभी स्त्रियां वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और चारों ओर कलावा बांधती हैं. इससे पति की लंबी उम्र और संतान की प्राप्ति होती है. 

वट सावित्री के दिन करें ये उपाय 
1. वट वृक्ष बहुत चमत्कारी माना गया है.अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार है, तो व्रत सावित्री वाले दिन रात को रोगी के तकिए के नीचे बरगद के पेड़ की जड़ रख दें. ये व्रत पूर्णिमा तक रोजाना रखें. इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे लाभ होगा. 
2. वट सावित्री अमावस्या वाले दिन शनि जयंती भी है. अब ऐसे में इस दिन पीपल के पेड़ को दूध, गंगाजल अर्पित करें और इस मंत्र का 11 बार जाप करें, साथ ही परिक्रमा भी लगाएं.
ॐ शं शनैश्चराय नमः

दो बार रखा जाता है व्रत सावित्री का व्रत 

पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा में वट सावित्री अमावस्या (ज्येष्ठ अमावस्या) के दिन व्रत रखा जाता है.

महाराष्ट्र और गुजरात में वट सावित्री पूर्णिमा (ज्येष्ठ पूर्णिमा) पर ये व्रत रखने की परंपरा है.