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Pradosh Vrat 2024 Date: बुध प्रदोष व्रत आज, इस मुहूर्त में करें शिव जी की पूजा

Budh Pradosh Vrat 2024 Date: हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. इस बार प्रदोष व्रत 7 फरवरी को रखा जाएगा. आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Updated on: 07 Feb 2024, 11:03 AM

नई दिल्ली :

Budh Pradosh Vrat 2024 Date: प्रदोष व्रत पवित्र दिन है जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है. इस शुभ दिन पर लोग भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं और उनकी विधिपूर्वक पूजा करते हैं.  प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है, जिसमें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शामिल है. फरवरी माह का यह पहला प्रदोष व्रत है जो 7 फरवरी 2024 दिन बुधवार के दिन मनाया जाएगा. बुधवार के दिन पड़ने की वजह से ये बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा. 

बुध प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Budh Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 07 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से और इसका समापन अगले दिन यानि 08 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर होगा.  इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 05 मिनट से लेकर 08 बजकर 41 मिनट तक है. 

बुध प्रदोष व्रत रिवाज   (Budh Pradosh Vrat Rituals)

इस दिन भक्तों को जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. फिर उन्हें पूजा कक्ष में भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियां रखनी चाहिए और एक दीया जलाना चाहिए और मूर्तियों पर माला चढ़ानी चाहिए.  फिर उन्हें पंचमाक्षरी मंत्र और महा मृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. फिर माता पार्वती को श्रृंगार अर्पित करना चाहिए. उसके बाद गौरी स्तुति का पाठ करें और आरती करें.

बुध प्रदोष व्रत महत्व  (Budh Pradosh Vrat Importance)

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूरी निष्ठा और भक्ति से पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती भक्तों को सुख, धन, समृद्धि और इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं. प्रदोष व्रत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लोग मनचाहे साथी की प्राप्ति के लिए इसे मनाते हैं. मानसिक स्थिति से पीड़ित लोग भी भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं और लक्षणों को खत्म करने के लिए उनका आशीर्वाद मांग सकते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)