Reason Behind Onion and Garlic Prohibited In Puja: प्याज और लहसुन नहीं किए जाते हैं पूजा में इस्तेमाल, जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा
शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसून भगवान को चढ़ाने से मना (Onion Garlic Prohibited In Puja) किया गया है. इस सवाल का जवाब समुद्र मंथन (pauranik katha samudra manthan) की पौराणिक घटना में छिपा है.
नई दिल्ली:
जहां एक तरफ लहसुन और प्याज का इस्तेमाल खाने का स्वाद (use onion and garlic during puja) बढ़ाता है. वहीं ये आयुर्वेदिक गुणों से भी भरपूर है. लेकिन, वहीं कई लोगों के मन में ज्यादातर यही सवाल आता है कि आखिर क्यों इसका इस्तेमाल पूजा-पाठ के दौरान नहीं किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसून भगवान को चढ़ाने से मना (Onion Garlic Prohibited In Puja) किया गया है. इन दोनों को धार्मिक कार्यों में प्रयोग नहीं किया जाता है. इस सवाल का जवाब समुद्र मंथन की पौराणिक घटना में छिपा है. तो, चलिए आपको बताते हैं कि आखिर लहसुन और प्याज का प्रयोग पूजा तथा व्रत (pauranik katha) में वर्जित क्यों है.
समुद्र मंथन की घटना
भगवान को लहसुन और प्याज का भोग न लगाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है. पौराणिक कथा के मुताबिक, श्रीहीन हो चुके स्वर्ग को खोई हुई वैभव संपदा दिलाने के लिए देव और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया. समुद्र मंथन करने के दौरान माता लक्ष्मी के साथ कई रत्नों समेत अमृत कलश भी निकला था. अमृता पान के लिए देवताओं और असुरों में विवाद हुआ. तो श्री विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत बांटने लगे. सबसे पहले अमृत पान की बारी देवताओं की थी, तो भगवान विष्णु क्रमश: देवताओं को अमृत पान कराने लगे. तभी एक राक्षस देवता का रूप धारण कर उनकी पंक्ति में खड़ा हो गया. सूर्य देव और चंद्र देव उसे पहचान गए.
उन्होंने विष्णु भगवान से उस राक्षस की सच्चाई बताई, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. उसने थोड़ा अमृत पान किया था, जो अभी उसके मुख में था. सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं. उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई. जिस राक्षस का सिर और धड़ भगवान विष्णु ने काटा था, उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाने लगा. राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई थी, इस कारण से उसे व्रत या पूजा में शामिल नहीं किया (Samudra Manthan Ki Katha) जाता है.
राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति
राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई थी. इस वजह से उसे व्रत या पूजा में शामिल नहीं किया जाता है. उनकी जहां उत्पत्ति हुई थी, वहां अमृत की बूंदें भी गिरी थीं. इसी वजह से लहसुन और प्याज में अमृत स्वरूप औषधीय गुण विद्यमान हो गए. लहसुन और प्याज कई तरह की बीमारियों में लाभदायक होता है. राक्षस के अंश से उत्पत्ति के कारण इसे काफी लोग अपने भोजन में भी शामिल नहीं करते हैं. लहसुन और प्याज को तामसिक भोज्य पदार्थ माना जाता है. इस वजह से भी इसे पूजा आदि में वर्जित किया गया है.
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