Bheemeshvari Devi Mandir History: जब पाकिस्तान से अपनी कुलदेवी को उठा लाए थे भीम
मां भीमेश्वरी (Bheemeshvari Devi Mandir) देवी के मंदिर का संबंध महाभारत काल से है. हरियाणा के झज्जर जिले के बेरी में स्थिति इस मंदिर की खासियत है कि यहां मूर्ति केवल एक है लेकिन मंदिर दो हैं.
नई दिल्ली:
भारत जैसे देश में ऐसे कई मंदिर है. जो कि धर्म और विज्ञान दोनों की दृष्टि से पहले बने हुए हैं. इन मंदिरों के पीछे का रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया है. ऐसा ही एक मंदिर मां भीमेश्वरी (Bheemeshvari Devi Mandir) देवी का है. माना जाता है कि इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से है. हरियाणा के झज्जर जिले के बेरी में स्थिति इस मंदिर की खासियत है कि यहां मूर्ति केवल एक है लेकिन मंदिर दो हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में रखी मूर्ति को पांडु पुत्र (maa Bheemeshvari Devi temple) भीम लेकर आए थे.
मां भीमेश्वरी मंदिर का इतिहास
मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. माना जाता है कि मां की मूर्ति को पांडु पुत्र भीम पाकिस्तान के हिंगलाज पर्वत से लेकर आए थे. जब कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध की तैयारी चल रही थी तो भगवान कृष्ण ने भीम को कुल देवी से विजय का आशीर्वाद लेने भेजा था. भीम ने मां को साथ चलने का आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि तुम मुझे गोद में (history of Bheemeshvari Devi temple) रखोगे. जहां भी उतारोगे मैं वहां से आगे नहीं जाऊंगी. भीम ने शर्त मान ली और गोद में उठाकर युद्ध भूमि की तरफ चले. बेरी कस्बे से गुजरते समय भीम को लघुशंका लग गई, जिस पर उन्हें मां को उतारना पड़ा. बाद में चलने के लिए भीम उठाने लगे तो मां ने उन्हें वचन याद दिलाया. फिर भीम ने पूजा कर बेरी के बाहर मां को स्थापित किया. तभी से मां को भीमेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है. यहां मां की मूर्ति चांदी के सिंहासन पर विराजमान है.
पाकिस्तान से मूर्ति लाए थे भीम -
माना जाता है कि जब महाभारत युद्ध शुरू होने वाला था तो भगवान कृष्ण ने भीम को कुल देवी से आशीर्वाद लेने भेजा. कुल देवी हिंगलाज पर्वत अब पाकिस्तान में है यह पर्वत पर विराजमान थी. भीम वहां पहुंचे और कुल देवी से साथ में चलने का आग्रह किया, तब कुल देवी ने कहा कि तुम मुझे गोद में लेकर चलोगे और जहां उतारोगे मैं उससे आगे ही नहीं बढूंगी. भीम ने यह बात स्वीकार कर ली और हिंगलाज पर्वत से मां कुल देवी (beri wali mata mandir timings) को लेकर निकल पड़े.
मूर्ति एक है लेकिन मंदिर दो हैं -
ये एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां मां की मूर्ति तो एक है लेकिन मंदिर दो हैं. मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को सुबह 5 बजे बाहर वाले मंदिर में लाया जाता है. दोपहर 12 बजे मूर्ति को पुजारी अंदर वाले मंदिर में लेकर जाते हैं. माना जाता है कि मां रात भर अंदर वाले मंदिर में आराम करती हैं. मां का मंदिर जंगलों में था. तब ऋषि दुर्वासा ने मां से विनती की थी कि कि वे उनके आश्रम में आकर भी रहें. तभी से दो मंदिरों की परंपरा चल रही है. आज भी यहां पर दुर्वासा ऋषि द्वारा रचित आरती से पूजा (mythological temples) की जाती है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Pramanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Shri Premanand ji Maharaj: मृत्यु से ठीक पहले इंसान के साथ क्या होता है? जानें प्रेमानंद जी महाराज से
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
May 2024 Vrat Tyohar List: मई में कब है अक्षय तृतीया और एकादशी? यहां देखें सभी व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट