Hindu New Year 2023 : जानें क्या है भारतीय संस्कृति और जीवन का विक्रमी संवत्सर से गहरा संबंध
भारत में हिंदू नववर्ष की शुरुआत दिनांक 22 मार्च यानि कि कल से होने वाला है.
नई दिल्ली :
Hindu New Year 2023 : भारत में हिंदू नववर्ष की शुरुआत दिनांक 22 मार्च यानि कि कल से होने वाली है. ये चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. वहीं ब्रह्म पुराण के हिसाब से बात की जाए, तो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में चैत्र मास में प्रारंभ होने वाले हिंदू नववर्ष के बारे में बताएंगे, कि इसका इतिहास क्या है, कहां-कहां इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है और जानें क्या है संस्कृति और जीवन का विक्रमी संवत्सर से गहरा संबंध.
ये भी पढ़ें - Chaitra Navratri 2023 : पहले दिन शैलपुत्री की पूजा के साथ कलश स्थापना, जानें 9 दिनों के पूजा मुहूर्त
ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को वसंत ऋतु का आगमन होता है. वसंत ऋतु को मधुमास भी कहा जाता है. वसंत ऋतु में समूची धरती हरियाली से लबरेज हो जाती है और व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार करती है.
हिंदू नववर्ष के आरंभकर्ता शकरि महाराज विक्रमादित्य थे. ऐसा कहा जाता है कि देश की अक्षुण्ण भारत की संस्कृति और शांति को भंग करने के लिए उत्तर पश्चिम और उत्तर से विदेशी शासक और जातियों ने इस देश पर आक्रमण किया था. उन्होंने अनेक भूखंडों पर अपना अधिकार जमा लिया था. ये सभी पारस कुश से सिंध आए थे. तब सिंध से सौराष्ट्र, महराष्ट्र और गुजरात फैल गए और दक्षिण गुजरात से इन लोगों ने उज्जैन पर आक्रमण किया था. उन्होंने सभी उज्जिनी को पूरी तरह से विध्वंस कर दिया था. तब इनका साम्राज्य विदिशा और मथुरा में भी फैल गया. इनके अत्याचारों से वहां के लोग त्राहि-त्राहि करने लग गए. तब मालवा के प्रमुख नायक विक्रमादित्या के नेतृत्व में देश की जनता और राजशक्तियां खड़ी हुईं और विदेशियों को खदेड़ कर बाहर कर दिया.
इस महावीर का जन्म देश की प्रचीन नगरी उज्जैन में हुआ था. जिनके पिता गणनायक थे और मां मलयवती थीं. इन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान भूतेश्वर से अनेक प्रार्थनाएं और व्रत भी किए. उसके बाद पूरा देश भय और आतंक मुक्ति के लिए विक्रमादित्य को अनेक बार उलझने झेलनी पड़ी. जिसकी लड़ाई सिंध नदी के करूर नामक स्थान पर हुई थी. जिसमें सभी शकों ने अपनी पराजय स्वीकार की थी. इस तरह से विक्रमादित्य ने भय को पराजित कर एक नए युग का निर्माण किए, जिसे विक्रमी शक संवत्सर कहा जाने लगा.
हिंदू नववर्ष का हर्षोल्लास
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य सिद्धांत का गणित और त्योहार की तैयारी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का गणित सब शक संवत्सर से ही किया जाता है. जिसमें एक दिन का भी अंतर नहीं होता है.
सिंधु में नव संवत्सर को 'चेटी चंडो' के नाम से जाना जाता है. इसे सभी लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. वहीं, अगर बात करें कश्मीर कि तो कश्मीर में यह पर्व 'नौरोज' के नाम से मनाया जाता है. इसका उल्लेख पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है. जिसका अर्थ है, नया शुभ प्रभात. इसमें सभी लड़के-लड़कियां नए कपड़े पहनकर बड़े धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं.
हिंदू संस्कृति में नव संवत्सर पर कलश स्थापना कर नौ दिन का व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा की जाती है और नवमीं के दिन हवन कर मां भगवती से सुख-शांति, कल्याण की प्रार्थना की जाती है. जिसमें सभी लोग व्रत, फलाहार कर नए भगवा झंडे तोरण अपने द्वार पर बांधकर हर्षोल्लास से मनाते हैं. इस तरह भारतीय संस्कृति और जीवन का विक्रमी संवत्सर से गहरा संबंध है लोग इन दिनों तामसिक भोजन, मांस मदिरा का सेवन नहीं करते हैं.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
SRH vs RR Dream11 Prediction : हैदराबाद और राजस्थान के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुने कप्तान
-
SRH vs RR Pitch Report : बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या गेंदबाज मारेंगे बाजी? जानें कैसी होगी हैदराबाद की पिच
-
T20 World Cup 2024 टीम में नहीं मिला SRH और LSG के एक भी खिलाड़ी को मौका, IPL के इस टीम का दबदबा
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Ganga Dussehra 2024: इस साल गंगा दशहरा पर बन रहा है दुर्लभ योग, इस शुभ मुहूर्त में स्नान करें
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीय के दिन करें ये उपाय, चुम्बक की तरह खिंचा चला आएगा धन!
-
May 2024 Panchak: आज से शुरू हुआ है गुरू पंचक, अगले 5 दिन ना करें कोई शुभ काम
-
Love Rashifal 2 May 2024: प्रेम और वैवाहिक जीवन के लिए कैसा रहेगा गुरुवार का दिन, पढ़ें लव राशिफल