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दशहरा स्पेशल: ये है सूर्पनखा की कहानी, राम पर हुई आसक्त, रावण का करवाया विनाश

रामायण में स्त्री की महानता दिखाई गई है, लेकिन कुछ स्त्रियों के चरित्र की वजह से ही पूरी रामायण बन सकी है। भगवान श्रीराम को वन भेजने में मंथरा और उनकी सौतेली माता कैकेयी थीं। वहीं सीता हरण और लंका दहन के पीछे एक अन्य स्त्री सूर्पनखा थी।

Updated on: 26 Sep 2017, 05:36 PM

नई दिल्ली:

रामायण में स्त्री की महानता दिखाई गई है, लेकिन कुछ स्त्रियों के चरित्र की वजह से ही पूरी रामायण बन सकी है। भगवान श्रीराम को वन भेजने में मंथरा और उनकी सौतेली माता कैकेयी थीं। वहीं सीता हरण और लंका दहन के पीछे एक अन्य स्त्री सूर्पनखा थी।

रावण की बहन सूर्पनखा ऋषि विश्वश्रवा और उनकी दूसरी पत्नी कैकशी की छोटी बेटी और रावण की छोटी बहन थी। वह भी रावण की तरह ही अहंकारी और दैत्य प्रवृत्ति की थी।

दरअसल रावण और सूर्पनखा की मां कैकशी रावण कन्या थी इसलिए ऋषि की संतान होने के बावजूद रावण और उसके भाइयों में दैत्य गुण आ गए थे।

एक दिन सूर्पनखा जंगल में घूमते हुए पंचवटी जा पहुंची। यहां पर उसके दो राक्षस भाइयों खर और दूषण का सम्राज्य था। सूर्पनखा ने इस दौरान जंगल में भगवान श्री राम को देखा। श्री राम का स्वरूप किसी को भी मोहित करने वाला था। इसलिए सूर्पनखा श्री राम को देखते ही आसक्त हो गई।

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वह लगातार ही श्रीराम को बहुत देर तक देखती रही, इसके बाद उसने राम के पास जाने का मन बनाया। जब सूर्पनखा वेश बदलने की कला में सक्षम थी। इसलिए उसने अतिसुंदर रूप धारण किया और श्रीराम के पास जा पहुंची। उसने भगवान से शादी करने को कहा।

श्रीराम चूकि एक पत्नी व्रत लिए हुए थे और पूरा जीवन सीतामाता के साथ रहने का वचन दे चुके थे इसलिए उन्होंने इस प्रस्ताव से इनकार करते हुए कहा कि 'मेरा भाई लक्ष्मण भी है, तुम चाहो तो उससे पूछ सकती हो।'

इस बात को सुनने के बाद सूर्पनखा ने लक्ष्मण की ओर देखा, लक्ष्मण भी बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व के थे। इसलिए उसने सोचा कि श्री राम न सही तो लक्ष्मण से ही शादी कर लूंगी। लेकिन फिर लक्ष्मण ने भी मना कर दिया।

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इसके बाद तो उसका खून खौल गया, सूर्पनखा को लगा कि दोनों ही भाइयों ने केवल सीता के कारण मुझसे शादी करने से मना कर दिया है। उसने न आव देखा न ताव और सीता पर झपट पड़ी। वह इस दौरान सीता को मार के खाना चाहती थी ताकि श्री राम से शादी कर सके।

इस पर लक्ष्मण ने स्त्री होने के नाते उसका वध तो नहीं किया लेकिन उसके नाक-कान काट दिए। कटी नाक के साथ सूर्पनखा रोती बिलखती हुई खर-दूषण के पास पहुंची। दोनों भाइयों ने श्रीराम के पास आकर युद्ध किया लेकिन श्रीराम ने उन्हे अपने एक ही बाण से परास्त कर दिया।

इसके बाद सूर्पनखा रोती हुई रावण के पास पहुंची और पूरी बात बताई। रावण ने अपनी बहन के अपमान और भाइयों की मौत का बदला लेने के लिए छल से सीता माता को अपहरण कर लिया। इसके बाद श्रीराम ने लंका विजय करके सीता माता को वापस हासिल किया था।