देवउठनी एकादशी 2017: जानें तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र
शाम को तुलसी और भगवान विष्णु के विवाह के लिए मंडप बनाएं। तुलसी के पौधे को घर के आंगन या छत के बीचों-बीच में रखें।
नई दिल्ली:
कार्तिक माह में आने वाले व्रत की अपनी ही महत्ता है। आज 31 अक्टूबर को सभी लोग देवउठनी एकादशी का उपवास कर अपने लिए मनवांछित फल मांग रहे हैं। यह पर्व कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। हिंदु धर्म में इसे विशेष महत्ता दी गई है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ तुलसी का विवाह किया जाता है।
आज हम आपको देवउठनी एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारें में बताने जा रहे हैं। शाम को तुलसीजी और भगवान विष्णु के विवाह के लिए मंडप बनाएं। तुलसी के पौधे को घर के आंगन या छत के बीचों-बीच में रखें। एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त देखकर तुलसी के विवाह के लिए मंडप सजाएं।
गन्नों को मंडप के चारों तरफ खड़ा करें और नया पीले रंग का कपड़ा लेकर मंडप बनाए। इसके बीच हवन कुंड रखें और फूलों से मंडप को सजाएं। इसके बाद तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं और पंचामृत से इनकी पूजा कर तुलसी के आगे दीया जलाए।
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तुलसी पर लाल चुनरी और सुहाग की सारी सामग्री चढ़ाएं। इसके साथ ही तुलसी और शालिग्राम जी के विवाह के दौरान दूध में भीगी हल्दी का प्रयोग करें।
दशाक्षरी मंत्र से पूजा करें
दशाक्षरी मंत्र- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा।
शुभ मुहूर्त
एकादशी की तिथि का समय 31 अक्टूबर शाम 6 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। जो लोग व्रत कर रहे हैं वो अवश्य ध्यान रखें कि अगले दिन पाराण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। पारण करने का शुभ समय 1 नवंबर को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से शुरु होकर सुबह के 08 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
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