logo-image

CM जयराम ठाकुर की छवि से हिमाचल में बीजेपी को नुकसान, जानें कैसे

हिमाचल प्रदेश की सत्ता में लौटने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. और हिमाचल के चुनावी इतिहास को बदलने के लिए भारतीय जनता पार्टी संगठन को मजबूत करने में बहुत पहले से ही जुटी हुई है.

Updated on: 03 Oct 2022, 06:22 PM

नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश की सत्ता में लौटने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. और हिमाचल के चुनावी इतिहास को बदलने के लिए भारतीय जनता पार्टी संगठन को मजबूत करने में बहुत पहले से ही जुटी हुई है. पार्टी को सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भरोसा है और मोदी भी मोर्चा संभाल चुके हैं. पीएम मोदी हिमाचल का कई बार दौरा कर चुके हैं और आगे भी चुनावी सभा एवं रैली करेंगे. लेकिन, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की छवि की वजह से पार्टी के अधिकांश नेताओं और विधयकों को हार का अंदेशा सता रहा है. 

विधायकों और पार्टी के नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की एक कमजोर और निर्णय न लेने वाले मुख्यमंत्री की वाली छवि से चुनाव में बड़ा नुकसान होने जा रहा है. पार्टी सूत्रों की मानें तो ज्यातादर विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना और प्रदेश चुनाव प्रभारी सौदान सिंह के सामने चेहरा बदलने की मांग भी रख दी है. पार्टी के जानकारों का कहना है कि जयराम ठाकुर का अक्षम मुख्यमंत्री की बनी छवि का सीधा लाभ विपक्ष को हो रहा है.

गौरतलब है कि जयराम ठाकुर पर भ्रष्टाचार पर लगाम न लगाने और मंत्रियों की मनमानी न रोक पाने का आरोप पहले से ही लग रहा है. विपक्ष अब इसी का फायदा उठाना चाहता है, क्योंकि उसे मालूम है कि मोदी पर हमला कर उसे कोई लाभ नहीं मिलने वाला है. लिहाजा, विपक्ष ने जयराम ठाकुर को निशाने पर लेकर अभियान शुरू कर दिया है. खासतौर पर आम आदमी पार्टी लगातार नकारा मुख्यमंत्री का नारा दे रही है. लेकिन, बीजेपी का साफ कहना है कि राज्य के चेहरे से कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि चेहरा तो प्रधानमंत्री का है और जनता को भरोसा उन्हीं पर है.

वहीं, राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि जयराम ठाकुर की नकार छवि से बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि, इस मुद्दे पर बीजेपी के नेता बोलने से कतरा रहे हैं, लेकिन जयराम ठाकुर के विकल्प के रूप में इंदु गोस्वामी और अनुराग ठाकुर का नाम जरूर लेते हैं. इस बार बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत राज्यों में चेहरा नहीं बदले की नीति अपनाई है, लेकिन हिमाचल में पार्टी को अभी से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.