फ्रांस की एक्स्ट्रा-मैरिटल डेटिंग एप हो बैन, शिव सेना नेता ने बताई वजह
फ्रांस के एक डेटिंग ऐप ने भारतीय महिलाओं के बीच विवाहेत्तर संबंधों के लिए सर्वे किया गया. जिसको बैन करने की मांग शिवसेना (Shiv Sena) नेता मनीषा कायंदे ने की है.
मुंबई:
शिवसेना की एक विधान पार्षद मनीषा कायंदे ने मांग की है कि फ्रांस के एक डेटिंग ऐप पर बैन लगाया जाए. इस पर भारतीय महिलाओं के बीच एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (Extra Marital Affairs Survey) के लिए सर्वे किया गया था. मनीषा कायंदे का कहना है कि ऐप ने दावा किया है कि उसने लाखों भारतीय महिलाओं का सर्वेक्षण किया, जिन्होंने कथित तौर पर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में होने बात कबूल की. मनीषा ने कहा कि इस ऐप ने एक भारतीय अखबार में अपना सर्वेक्षण का रिजल्ट भी पब्लिश कराया. उन्होंने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि इस देश की महिलाओं को अपमानित करने का प्रयास है. इस पर रोक लगनी चाहिए या उचित कार्रवाई की जानी चाहिए. परिषद के सभापति रामराजे निंबालकर ने राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर से केंद्र के सामने मुद्दा उठाने और ऐप पर रोक लगाने की मांग की.
मंत्री ने सदन में दिया आश्वासन
निंबालकर ने मंत्री से कहा, ‘‘जिस तरह केंद्र ने कुछ चीनी ऐप पर रोक लगाई आपके विभाग को भी केंद्र सरकार के साथ इस मसले पर बातचीत करनी चाहिए और ऐप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता ढूंढना चाहिए. राज्य ऐप के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है या नहीं इस पर मैं पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकता. केंद्र के साथ विचार-विमर्श करना ज्यादा बेहतर होगा. ’’ मंत्री ने सदन को आश्वस्त किया कि उनका विभाग सभी संबंधित पक्षों को पत्र लिखेगा और उचित कार्रवाई की जाएगी.
एक्स्ट्रा-मैरिटल डेटिंग एप
निर्दलीय विधान पार्षद कपिल पाटिल ने कहा कि राज्य को इस मामले पर कार्रवाई करते हुए सुनिश्चित करना चाहिए कि मीडिया के अधिकारों का हनन ना हो. एक्स्ट्रा-मैरिटल डेटिंग एप शादी-शुदा जिंदगी से नाखुश लोगों के लिए पार्टनर ढूंढने के लिए बनाई गए एप होती है. पिछले कुछ सालों से इन एप पर भारतीयों की संख्या बढ़ती जा रही है.
विधान परिषद के सभापति रामराजे निंबालकर ने राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर से केंद्र के समक्ष मुद्दा उठाने और ऐप पर रोक लगाने की मांग की. निंबालकर ने मंत्री से कहा, जिस तरह केंद्र ने कुछ चीनी ऐप पर पाबंदी लगायी आपके विभाग को भी केंद्र सरकार के साथ पत्र-व्यवहार करना चाहिए और ऐप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता तलाशना चाहिए. राज्य ऐप के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है या नहीं इस पर मैं पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकता. केंद्र के साथ विचार-विमर्श करना ज्यादा बेहतर होगा.’
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