यहां बच्चों को पार्सल के जरिए भेजते थे दादी- नानी के घर, वजह कर देगी दंग!
People Used To Send Their Kids Through Parcel: सुनने में ये बात आपको कुछ अटपटी जरूर लग सकती है वहीं इस बात पर यकीन करना पल भर के लिए मुश्किल भी होगा लेकिन ये सच है. जी हां, हम यहां अमेरिका जैसे विकसित देश की बात कर रहे हैं.
highlights
- साल 1913 में 8 महीने का बच्चा टिकट के साथ हुआ था पार्सल
- 1914 में 5 साल की बच्ची मेय पिअर्सटॉर्फ को किया गया था पार्सल
नई दिल्ली:
People Used To Send Their Kids Through Parcel: यह बात 19 वीं सदी की है. पुराने समय में लोग अपने छोटे बच्चों को पार्सल के जरिए दादी- नानी के घर भेजा करते थे. सुनने में ये बात आपको कुछ अटपटी जरूर लग सकती है वहीं इस बात पर यकीन करना पल भर के लिए मुश्किल भी होगा लेकिन ये सच है. जी हां, हम यहां अमेरिका जैसे विकसित देश की बात कर रहे हैं. यहां पुराने समय में बच्चों को दादी- नानी के घर इसी तरह भेजा जाता था. इसकी वजह जान आप दंग रह जाएंगे. दरअसल ऐसा करने की पीछे वजह पैसों को बचाना था.
ट्रेन से सफर है महंगा, बच्चों को कर दो पार्सल
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 19वीं सदी में अमेरिका जैसे विकसित देश में बच्चों को ट्रेन से यात्रा करवाना महंगा पड़ता है. यही वजह थी कि लोगों ने बच्चों को दादी- नानी के घर पहुंचाने के लिए नया तरीका खोज निकाला. बच्चों को पार्सल के जरिए दादी- नानी के घर भेजा जाने लगा. ऐसा करना लोगों के लिए किफायती था. साल 1913 के शुरुआत में अमेरिकी पार्सल पोस्ट सर्विस में पैकेज भेजने के कुछ नियम थे. इन्हीं नियमों के तहत लोग बच्चों को आसानी से पार्सल कर भेजने लगे.
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पहली बार 8 महीने के बच्चा ऐसे गया दादी के घर
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका के इतिहास में दर्ज पहला मामला 8 महीने के बच्चे का था. साल 1913 में एक 8 महीने के बच्चे को टिकट और इंश्योरेंस के जरिए पार्सल किया गया था. उस दौरान इस अजीबोगरीब मामले को अखबारों में भी छापा गया था. इसको देखा- देखी दूसरे मामले भी प्रकाश में आने लगे.
सेवा हुई आखिरकार बंद
हालांकि अमेरिका में इस तरह की सेवा ज्यादा समय तक नहीं चली. उस दौरान के प्रमुख अखबारों ने जब ये मुद्दा उठाया तो इस सर्विस को बंद करना पड़ा. साल 1915 में ही इस तरह की गतिविधी को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया. बताया जाता है कि इससे पहले साल 1914 में 5 साल की बच्ची मेय पिअर्सटॉर्फ को उसके पैरेंट्स ने दादा- दादी के पास पार्सल के जरिए पहुंचाया था.
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