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आखिर 55 साल के होते ही मरना चाहते हैं इस देश के लोग, जानें वजह

जीवन में कई बार ऐसी परिस्थिति भी सामने आ जाती है जिसके कारण इंसान में जीने की चाहत खत्म हो जाती है और वह जिंदगी को खत्म करने की कोशिश में लग जाता है.

Updated on: 02 Feb 2020, 06:05 PM

नई दिल्ली:

जिंदगी भगवान का वो खूबसूरत तोहफा है जिसकी सभी को चाहत होती है. जीवन में कई बार ऐसी परिस्थिति भी सामने आ जाती है जिसके कारण इंसान में जीने की चाहत खत्म हो जाती है और वह जिंदगी को खत्म करने की कोशिश में लग जाता है. क्या आप चाहने हैं कि एक ऐसा भी देश है जिसके लोग सरकार से इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं.

जी हां, नीदरलैंड में जिन लोगों की उम्र 55 साल से अधिक हो गई है, वह अपना जीवन समाप्त करने की सरकार से मांग कर रहे हैं. नीदरलैंड के स्वास्थ्य मंत्री क्रिस्चियन डेमोक्रेट ह्यूगो डे जोंगे ने डच हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव को इस बात की जानकारी दी. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि 55 साल की उम्र पार चुके 0.18 फीसदी डच लोग इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं.

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नीदरलैंड में करीब 10,156 लोगों ने इच्छामृत्यु के लिए आवेदन किया है. इनमें ज्यादा लोग आसान मौत की मांग कर रहे हैं. दरअसल यह लोग किसी गंभीर बीमारी के कारण मरना नहीं चाहते हैं, इसी के लिए इन्होंने इच्छामृत्यु की मांग की है. नीदरलैंड की अन्य पार्टी की सांसद पिआ दिजश्रे ने घोषणा करते हुए कहा कि वह 75 से अधिक लोगों के लिए इच्छामृत्यु के लिए एक बिल पेश करेगी, ताकि लोग अपने जीवन का अंत शांतिपूर्ण और गरिमापूर्ण तरीके से कर सकें.

गैरकानूनी तरीके से दी गई इच्छामृत्यु
68 साल के रिटायर डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने बुजुर्ग महिला की कॉफी में नींद की दवा डाल दी थी. जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी. वहीं पड़ोसी देश बेल्जियम में, तीन डॉक्टरों पर मानसिक समस्याओं से जूझ रहे मरीज को मारने का आरोप लगा है. डॉक्टर्स ने गैरकानूनी तरीके से मरीज को इच्छामुत्यु दी थी. आपको बता दें, साल 2002 के बाद बेल्जियम में इच्छामृत्यु देने का कानून है. जिसके के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करना होता है.

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16 साल से कम नहीं होनी चाहिए उम्र
नीदरलैंड में इच्छामृत्यु के लिए कुछ नियम भी तय किए गए हैं. इन नियमों के बाद ही किसी को इच्छामृत्यु दी जाती है. जैसे इंसान की आयु कम से कम 16 साल होनी चाहिए. इच्छामृत्यु के लिए किसी भी तरह के पैसे नहीं लेने चाहिए. इसके साथ सरकार यह भी देखती है कि जो इच्छामृत्यु की मांग कर रहा है क्या उसमें सुधार की कोई संभावना नजर आती है या नहीं.