Film Kabir Singh Review: इश्क और जूनुनियत को दिखाती है 'कबीर सिंह' की इमोशनल लव स्टोरी
शाहिद की बेमिसाल एक्टिंग और कियारा की मासूमियत फिल्म को सक्सेस के पायदान पर पहुंचने में कारगर साबित होगी.
नई दिल्ली:
कबीर सिंह के करेक्टर को जिंदा कर दिया शहीद कपूर ने 70mm पर, कियारा ने भी जीत लिया दिल अपनी मासूमियत से बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर की एक्टिंग इस बात को साबित करती है कि जो किरदार वो सिल्वर स्क्रीन पर निभाते हैं उससे जी लेते है. फिल्म कबीर सिंह ने भी ,शाहिद कपूर ने एक सिरफिरे आशिक के रोल ने यह साबित कर दिया कि कुछ रोल केवल वही कर सकते हैं. हैदर में भी उनका रोल ऐसा ही था. कबीर सिंह, तेलुगू फिल्म अर्जुन रेड्डी का हिंदी रीमेक है, जोकि एक आशिक की कहानी है. इस फिल्म में शाहिद और कियारा की दमदार एक्टिंग देखने को मिली है. संदीप वांगा ने बेहद खूबसूरत तरीके से कबीर सिंह को बनाया है. संदीप ने हीअर्जुन रेड्डी बनाई थी. कबीर सिंह एक कंपलीट एंटर्टेमेंट फिल्म है जो इश्क की जुनूनियत को दिखाती है. इसमें कॉमेडी है, इमोशंस हैं.
कहानी- कबीर सिंह दिल्ली के एक मेडिकल स्टूडेंट कबीर राजधीर सिंह (शाहिद कपूर) की कहानी है, जिसे बहुत ज्यादा गुस्सा आता है. अपने गुस्से पर उसका बिल्कुल कंट्रोल नहीं होता है. कबीर को अपनी जूनियर प्रीति से प्यार हो जाता है. वह कॉलेज में अनाउंस करा देता है कि प्रीति उसकी है. कबीर की धमक के चलते न तो उसकी कोई रैगिंग कर पाता है और ना आंख उठाकर देख पाता है. कॉलेज से पास होकर कबीर मंसूरी में मास्टर्स करने चला जाता है और प्रीति दिल्ली में ही रह जाती है, हालांकि वह 15 दिन भी कबीर से अलग नहीं रह पाती और मिलने मंसूरी पहुंच जाती है. फिर दोनों आए दिन मिलने लगते हैं. पढ़ाई पूरी होती है और कबीर शादी की बात करने प्रीति के घर आता है. और प्रीति के पिता उसे घर से भगा देते हैं.
वह प्रीति को अपना बनाने की हर कोशिश करता है लेकिन उसके प्रीति की शादी कहीं और कर दी जाती है. प्यार में असफल होने के कारण वह शराबी बन जाता है और अजीब तरह की हरकतें करने लगता है. कबीर की इन हरकतों की वजह से उसके पिता (सुरेश ओबेरॉय) उसे घर से निकाल देते हैं. इसके बाद वह मुंबई में अपनी डॉक्टरी पर फोकस करता है. शराब के कारण तबियत खराब होती जाती है और नशे में एक मरीज का इलाज करने के आरोप में उस पर पांच साल का प्रतिबंध लग जाता है. प्रीति उसकी जिंदगी से जा चुकी होती है फिर भी उसे पाने का जुनून उसके सिर पर सवार होता है. पटरी से उतरी जिंदगी, परिवार से हुए अलगाव को वह कैसे संभालता है, प्रीति उसकी जिंदगी में वापस आती है या नहीं, यही है कबीर सिंह की कहानी.
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एक्टिंग- कबीर सिंह शाहिद कपूर के उसी अंदाज की वापसी है जो पहले आपने हैदर फिल्म में महसूस किया है . पूरी फिल्म में शाहिद को ही देखने का मन करता है, वहीं कियारा की मासूमियत ने तो दिल जीत लिया है. बड़े फिल्ममेकर्स ने भले ही कियारा को बड़ी अदाकारा ना समझा हो, लेकिन इस फिल्म से उन्होंने साबित कर दिया है कि उन्हें अगर मौका मिलेगा तो वह दिग्गज अदाकाराओं को मात देने में पीछे नहीं रहेंगी.
गाने- इस फिल्म की कहानी के साथ साथ इसके गाने खूब पसंद आ रहे हैं. फिल्म की रिलीज से पहले इसके गाने खूब सुनाई देने लगे थे. बेखयाली, कैसे हुआ, तेरा बन जाऊंगा, तेरे सोणेया संगीत की प्रेमियों की जुबां पर हैं. संगीत के लिहाज से फिल्म काफी अच्छी है ,गाने इरशाद कामिल, मनोज मुंतशिर, कुमार और मिथुन ने लिखे हैं जबकि विशाल मिश्रा, अखिल सचदेवा, मिथुन ने इन्हें अपनी आवाज दी है.
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