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रेपो रेट में 0.25 पैसे की कटौती, आम लोगों को ऐसे मिलेगा फ़ायदा

रेपो रेट में कमी आने से बैंक के लिए RBI से कर्ज़ लेना आसान होगा, यानि बैंक अपने ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए EMI और Home Loan (होम लोन) सस्ता कर सकते हैं.

Updated on: 07 Feb 2019, 01:39 PM

नई दिल्ली:

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट में 0.25 पैसे की कटौती करने का फ़ैसला किया है. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, यानि अब रेपो रेट 6.5 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी हो गया है. गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2018-19 में आरबीआई की छठी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक मंगलवार से शुरू हुई थी जो गुरुवार को समाप्त हो गई.

RBI के नए गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की यह पहली समीक्षा बैठक है. शक्तिकांत दास ने 12 दिसंबर को RBI की कमान संभाली है.

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "वर्ष 2019-20 के लिए वृद्धि दर के लक्ष्य को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. वर्ष 2019-20 के पहले छह महीनों में मुद्रास्फीति की दर 3.2-3.4 फीसदी रहने का अनुमान है, तथा तीसरी तिमाही में इसके 3.9 फीसदी रहने का अनुमान है. चौथी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को घटाकर 2.8 फीसदी किया गया."

बता दें कि इससे पहले भी कहा जा रहा था कि बाज़ार में तरलता बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में बदलाव किया जा सकता है. एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया था, 'आरबीआई के फरवरी में अपने रुख में बदलाव करने की उम्मीद है, हालांकि दरों में बढ़ोतरी करने की संभावना कम ही है. दरों में पहली कटौती अप्रैल 2019 में की जा सकती है. हालांकि, अगर बैंक 7 फरवरी को दर में 0.25 फीसदी की कटौती करता है तो हमें हैरानी नहीं होगी.'

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रेपो रेट में कमी आने से बैंक के लिए RBI से कर्ज़ लेना आसान होगा, यानि बैंक अपने ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए EMI और Home Loan (होम लोन) सस्ता कर सकते हैं.

रेपो रेट क्या है
जिस तरह बैंकों से हम कर्ज लेते हैं, ठीक उसी तरह रोजमर्रा के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी रकम की जरूरत पड़ती है. ये रकम उसे आरबीआई से कर्ज के रूप में मिलती है. बैंक आरबीआई से जिस दर से कर्ज लेते हैं उसे रेपो रेट कहते हैं. यानी जितना ब्याज बैंक आरबीआई को चुकाएगा उतना वो अपने ग्राहक से वसूलेंगे.

रेपो रेट आम लोगों पर कैसे डालता है असर ?
अब आप इसे इस तरह समझे कि जब बैंकों को कम दर पर कर्ज मिलेगी तो वे भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी ब्याज दरों को कम कर सकते हैं, ताकि कर्ज लेने वाले ग्राहकों में ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ोतरी की जा सके और ज़्यादा रकम कर्ज पर दी जा सके.

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अगर आरबीआई रेपोट रेट में बढ़ोतरी करती हैं तो बैकों को कर्ज लेना महंगा पड़ेगा और वे अपने ग्राहकों से वसूल करने वाले ब्याज दर में इजाफा कर देंगे.