मध्य प्रदेश में मतदाताओं ने युवा उम्मीदवारों पर जताया ज्यादा भरोसा
इस बार के चुनाव नतीजों में उन युवा मतदाताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है, जिन्होंने पहली बार वोट डाला है.
भोपाल:
मध्य प्रदेश की सत्ता में बदलाव के आसार नजर आने लगे हैं, कांग्रेस बहुमत के करीब है. इस बार के चुनाव नतीजों में उन युवा मतदाताओं की भूमिका अहम मानी जा रही है, जिन्होंने पहली बार वोट डाला है. मत प्रतिशत बढ़ने की वजह युवाओं और महिलाओं का बड़ी संख्या में मतदान माना जा रहा है. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, "राज्य के पांच करोड़ मतदाताओं में पहली बार वोट करने वाले 18-19 साल के मतदाताओं की संख्या 16 लाख से ज्यादा रही है. औसत तौर पर देखा जाए तो पहली बार वोट डालने का हक पाने वाले लगभग 12 लाख मतदाताओं ने वोट डाले हैं. इसी तरह 20 से 29 वर्ष की आयु के मतदाताओं की संख्या 1,37,82,779 रही. कुल मिलाकर 18 से 29 वर्ष की आयु के मतदाताओं की संख्या देखें तो यह आंकड़ा 1,53,60,832 है.
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युवा मतदाताओं का अनुपात देखा जाए तो साफ होता है कि राज्य में कुल मतदाताओं के मुकाबले 18 से 29 वर्ष की आयु के मतदाताओं का अनुपात लगभग 35 प्रतिशत है. इन हालातों में नई सरकार को युवाओं के लिए काम करना और उसे संतुष्ट करना बड़ी चुनौती होने वाला है.
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राज्य में पांच करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं, इस बार 75 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने मतदान किया. यह पिछले चुनाव से ज्यादा था. महिलाओं का प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले तीन प्रतिशत अधिक रहा. इस तरह महिलाएं मतदान करने बड़ी तादाद में बाहर निकली.
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राजनीतिक विश्लेषक संतोष गौतम ने कहा, "इस बार के चुनाव में महिलाओं और युवाओं के मत प्रतिशत ने बदलाव का संदेश दिया होगा, यही कारण है कि राज्य में भाजपा की सत्ता से बेदखली होने वाली है, वहीं कांग्रेस सत्ता में आने वाली है. नई सरकार के गठन में कांग्रेस को युवाओं और महिलाओं की भावनाओं का पूरा ख्याल रखना होगा."
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गौतम ने कहा, "कांग्रेस को जनभावनाओं के अनुरूप फैसले करने होंगे, अगर कोई चूक होती है तो उसे आगामी लोकसभा चुनाव में परिणाम भुगतने को तैयार रहना होगा. युवाओं को रोजगार, किसानों की कर्ज माफी, फसल का दाम जैसे वादों को जल्दी पूरा करना होगा, इसे पूरा करने के लिए किंतु-परंतु नहीं चलने वाला. जनता किसी बहलावे में नहीं आएगी. वहीं दूसरी ओर सशक्त विपक्ष होगा, जिससे निपटना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा."
राज्य के नतीजे आ चुके है, 230 में से कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 सीटें मिली है. चार निर्दलीय कांग्रेस के साथ आ रहे हैं, बसपा और सपा ने भी कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. इस तरह कांग्रेस के खाते में 121 सीटों के आसपास सीटे हैं.
कांग्रेस हो या भाजपा निर्वाचित विधायकों में युवाओं की संख्या बड़ी है, इसलिए एक बात तो साफ हो गई है कि मतदाताओं ने युवा उम्मीदवारों पर ज्यादा भरोसा किया है, लिहाजा नई सरकार के गठन में कांग्रेस को युवाओं और महिलाओं की भावनाओं का सम्मान तो करना ही होगा.
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