मध्य प्रदेश चुनावः दस हजार से कम वोटों से जीते थे बीजेपी के आधे से ज्यादा विधायक
पिछले विधानसभा चुनावों में 230 में से 20 फ़ीसद विधायक ऐसे थे जो सिर्फ़ 5000 या उससे कम वोट पाकर सदन पहुंचे थे. 63 फ़ीसद प्रत्याशियों की जीत का मार्जिन 10 हज़ार वोटों से ज़्यादा था. अगर हम बात करें BJP के विधायकों की तो 67 फ़ीसद विधायकों ने अपने प्रतिद्वंदियों को 10,000 या उससे कम वोटों से हराया था.
नई दिल्ली:
पिछले विधानसभा चुनावों में 230 में से 20 फ़ीसद विधायक ऐसे थे जो सिर्फ़ 5000 या उससे कम वोट पाकर सदन पहुंचे थे. 63 फ़ीसद प्रत्याशियों की जीत का मार्जिन 10 हज़ार वोटों से ज़्यादा था. अगर हम बात करें BJP के विधायकों की तो 67 फ़ीसद विधायकों ने अपने प्रतिद्वंदियों को 10,000 या उससे कम वोटों से हराया था.
बीजेपी ने जहां राज्य की सभी 230 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े की थी तो वहीं कांग्रेस ने उसे एक सीट कम यानी 229 सीटों पर दांव आज़माया था. इन 230 सीटों में से 165 सीट जीतकर जहां BJP ने मध्य प्रदेश की सत्ता पर लगातार तीसरी बार क़ाबिज़ हुई थी तो वहीं कांग्रेस को मात्र 58 सीटें ही हासिल हुईं.
500 से कम मतों से जीतने वाले चार विधायकों में से दो बीजेपी के
2013 के विधानसभा चुनाव में 500 से कम मतों से जीतने वाले चार विधायकों में से दो बीजेपी, एक कांग्रेस और एक अन्य दल से है. पांच सौ से एक हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल करने वाले विधायकों की संख्या चार थी. इसमें कांग्रेस के तीन और बीजेपी का एक विधायक शामिल है.
50,000 वोटों से हार-जीत का अंतर
कुल 62 सीटों पर प्रत्याशियों ने अपनी दमदार जीत हासिल की थी हार-जीत का अंतर 20,000 से लेकर 50 हज़ार वोटों के बीच था. इनमें से 50 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की तो 11 सीट कांग्रेस के खाते में गई. एक सीट अन्य ने जीत हासिल की.
71 सीटों पर हार-जीत का अंतर दस हजार से 20 हजार वोट
71 सीटों पर जीत-हार का जीत हार का अंतर 10 हजार से बीस हज़ार वोटों के बीच रहा इनमें से 51 सीटों पर जहां BJP के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की तो 19 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने झंडे गाड़े, एक सीट किसी अन्य के खाते में गई.
5000 से 10000 वोटों के अंतर
5000 से 10000 वोटों के अंतर से 38 सीटों पर जीत हार का फ़ैसला हुआ, जिनमें से 26 सीटें भाजपा के खाते में गई तो 11 सीटों पर कांग्रेस ने कब्ज़ा जमाया. 38 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच बहुत ही नज़दीकी मुक़ाबला रहा, जहां जीत-हार का फ़ैसला केवल 2 हज़ार लेकर पांच हज़ार वोटों के बीच रहा. इनमें 16 सीटें भाजपा ने हासिल की तो कांग्रेस के खाते में 11 सीटें ही आईं. एक सीट पर किसी अन्य ने बाज़ी मारी.
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