जानें अपने अधिकार: हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना सरकार की है ज़िम्मेदारी
भारतीय संविधान ने भी अनुच्छेद-21 के तहत जीने के अधिकार में 'स्वास्थ्य के अधिकार' को वर्णित किया है। ऐसे में एक व्यक्ति की स्वास्थ्य ज़रूरतों को पूरा करना सरकार की ज़िम्मेदारी है।
highlights
- भारतीय संविधान ने अनुच्छेद-21 के तहत जीने के अधिकार में 'स्वास्थ्य के अधिकार' को वर्णित किया है
- मरीजों को अस्पताल में इलाज या जांच से पहले अपनी बीमारी जानने का अधिकार है
नई दिल्ली:
समाज में किसी व्यक्ति का स्वस्थ रहना न सिर्फ़ उसकी ज़रूरत है, बल्कि उसका बुनियादी और एक प्राकृतिक अधिकार है। यह इसलिए भी क्योंकि एक व्यक्ति का स्वस्थ रहना ही उसके संपूर्ण विकास का आधार होता है।
भारतीय संविधान ने भी अनुच्छेद-21 के तहत जीने के अधिकार में 'स्वास्थ्य के अधिकार' को वर्णित किया है। ऐसे में एक व्यक्ति की स्वास्थ्य ज़रूरतों को पूरा करना सरकार की ज़िम्मेदारी है।
10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव अधिकार पर सार्वभौम (यूनिवर्सल) घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें लोगों की स्वतंत्रता और समानता जैसे मुद्दों के साथ चिकित्सीय देखभाल यानि स्वास्थ्य के अधिकार को प्रमुखता से रखा गया था।
भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की नीति व नियमावली- 2002 में मरीज़ो के अधिकार और डॉक्टर की कार्यप्रणाली को बताया गया है।
एमसीआई अधिनियम, 1956 में बताया गया है कि चिकित्सा व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य मानवता की सेवा करना है।
जानिए मरीज़ों के स्वास्थ्य अधिकार...
- हर व्यक्ति को धर्म, जाति, लिंग या आर्थिक आधार पर भेदभाव किए बिना स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना सरकार की ज़िम्मेदारी है।
- हर मरीज़ को सभी अस्पतालों में आपातकालीन चिकित्सा लेने का हक़ है। इसके लिए कोई भी डॉक्टर या कर्मचारी किसी आधार पर मना नहीं कर सकता है।
- अस्पताल में इलाज या जांच से पहले मरीज़ को अपनी बीमारी जानने का अधिकार है।
- मरीज़ या उसके परिजन को इलाज का ख़र्च, मेडिकल रिकॉर्ड, दवाईयों, डॉक्टर के बारे में और अन्य विकल्पों को जानने का पूरा अधिकार है।
- अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज़ को अपनी निजता को पाने का हक़ है।
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किसी भी व्यक्ति या मरीज़ के साथ डॉक्टर द्वारा ग़लत व्यवहार, धोखाधड़ी, ग़लत दवाई देने, फ़र्जीवाड़े या इससे संबंधित किसी भी समस्या पर आप भारतीय चिकित्सा परिषद या राज्यों के चिकित्सा परिषद में शिकायत कर सकते हैं।
हाल ही में दिल्ली के दो बड़े प्राइवेट अस्पतालों फ़ोर्टिस और मैक्स में हुई लापरवाही और घटनाओं की शिकायत भी भारतीय चिकित्सा परिषद में की जा सकती है।
इसके अलावा किसी भी दवा विक्रेता द्वारा ग़लत या नकली दवाई देने या अधिक दाम वसूलने पर आप नेशनल फ़ार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के पास शिकायत कर सकते हैं।
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