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Riots Cases: बरी होने बाद माया कोडनानी का राजनीतिक करियर फिर होगा आबाद

गुजरात दंगों से जुड़ा नरोदा गाम दूसरा और अंतिम मामला था, जिसमें माया कोडनानी को आरोपी बनाया गया था. इससे पहले हिंसा में नामजद एकमात्र बीजेपी मंत्री नरोदा पाटिया मामले में बरी करार दी गई थीं.

Updated on: 22 Apr 2023, 12:23 PM

highlights

  • विशेष अदालत ने अगस्त 2012 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई
  • गुजरात हाई कोर्ट ने 27 मार्च 2009 को अग्रिम जमानत खारिज कर दी
  • स्त्री रोग विशेषज्ञ कोडनानी भाजपा की महिला नेताओं में उभरता सितारा

अहमदाबाद:

2002 गुजरात दंगों (Gujarat Riots) से जुड़े दूसरे और आखिरी मामले में बरी होने के साथ ही गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी (Maya Kodnani) के सक्रिय राजनीति में वापसी के दरवाजे खुल गए हैं. एक दशक पहले गोधरा कांड (Godhra) के बाद भड़के दंगों से नाम जुड़ने के बाद माया कोडनानी के राजनीतिक सफर पर विराम लग गया था. गुजरात भाजपा नेताओं के मुताबिक चिकित्सक से नेता बनीं और कभी राज्य में शक्तिशाली नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) मंत्रिमंडल की सदस्य माया कोडनानी अगर सक्रिय राजनीति में वापसी करना चाहेंगी, तो भगवा पार्टी निश्चित रूप से उन्हें जिम्मेदारी सौंपेगी. गौरतलब है कि गुरुवार को 68 वर्षीय कोडनानी को 28 फरवरी 2002 को नरौदा गाम दंगों के मामले में एक विशेष अदालत ने बरी कर दिया था. नरौदा गाम के दंगे में अल्पसंख्यक (Minority) समुदाय के 11 सदस्यों को उनके घरों समेत जलाकर मार डाला गया था. एक दिन पहले गोधरा के पास साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में 59 कारसेवकों को जलाकर मारने की घटना की प्रतिक्रियास्वरूप गुजरात में जगह-जगह सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे.

माया के विधानसभा क्षेत्र में भी हुए थे भीषण दंगे
गुजरात दंगों से जुड़ा यह दूसरा और अंतिम मामला था, जिसमें माया कोडनानी को आरोपी बनाया गया था. इससे पहले हिंसा में नामजद एकमात्र बीजेपी मंत्री नरोदा पाटिया मामले में बरी करार दी गई थीं. गुजरात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'कोडनानी एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं और पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेती आई हैं. यह उनकी निजी पसंद है कि वह सक्रिय राजनीति में वापसी करना चाहती हैं या नहीं. यह उन्हें तय करना है कि वह राजनीति में सक्रिय रहना चाहती हैं या नहीं. अगर वह ऐसा करती हैं, तो पार्टी निश्चित रूप से उन्हें काम सौंपेगी.' नरोदा गाम मामले में बरी होने से पहले कोडनानी को अप्रैल 2018 में गुजरात उच्च न्यायालय ने 2002 के नरोदा पाटिया सांप्रदायिक हिंसा मामले में भी बरी कर दिया था. अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सांप्रदायिक दंगों के दौरान कम से कम 97 लोग मारे गए थे. इस मामले में माया कोडनानी को एक विशेष अदालत ने सरगना करार देते हुए अगस्त 2012 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया था. ये दोनों क्षेत्र उस विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं, जिसका प्रतिनिधित्व कभी भाजपा नेता माया कोडनानी करती थीं.

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हाई कोर्ट से बरी होते ही कोडनानी ने बढ़ा दी थी राजनीतिक सक्रियता
अहमदाबाद निवासी और तीन बार की पूर्व विधायक माया कोडनानी को हाई कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के तुरंत बाद राज्य में भाजपा के कुछ कार्यक्रमों में देखा गया था. दिसंबर 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान पूर्व विधायक कोडनानी ने बीजेपी कार्यक्रमों में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ मंच भी साझा किया था, जहां उनका उत्साह के साथ स्वागत किया गया. दोहरे दंगों के मामलों की जांच का सामना कर रही कोडनानी को तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जब गुजरात उच्च न्यायालय ने 27 मार्च 2009 को उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित विशेष जांच दल के समक्ष आत्मसमर्ण कर दिया था. एसआईटी का गठन 2002 के गोधरा ट्रेन नरसंहार और उसकी प्रतिक्रियास्वरूप आठ अन्य सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए किया गया था. इन दंगों में अहमदाबाद के नरोदा गाम और नरोदा पाटिया हिंसा के मामले भी शामिल थे, जिसमें माया कोडनानी को आरोपी बनाया गया था.

पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं माया कोडनानी
माया कोडनानी 2012 में नरोदा पाटिया हत्याकांड मामले में विशेष अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के समय विधायक थीं. कोडनानी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अहमदाबाद भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष और फिर अहमदाबाद नगर निगम की पार्षद चुने जाने से की थी. फिर वह 1990 के दशक में नागरिक निकाय की स्थायी समिति की अध्यक्ष भी बनीं. स्त्री रोग विशेषज्ञ कोडनानी को भाजपा की महिला नेताओं के बीच एक उभरते सितारे के रूप में देखा जाता था. उन्होंने 1998 में पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया जब वह अहमदाबाद में नरोदा निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गईं. माया ने कांग्रेस उम्मीदवार को 74,500 से अधिक मतों के बड़े अंतर से हराया था. 2002 के दंगों के बाद उसी वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने 1 लाख से अधिक वोटों के बड़े अंतर से इसी सीट पर जीत हासिल की थी.

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नरोदा से तीन बार रही हैं विधायक
2003 में भाजपा ने उन्हें पार्टी की अहमदाबाद इकाई के अध्यक्ष के रूप में पदोन्नत किया. उन्होंने 2007 में नरोदा से तीसरे कार्यकाल के लिए विधानसभा चुनाव जीता, वह भी 1.80 लाख से अधिक मतों के भारी अंतर से. तीसरी जीत के बाद माया का भगवा पार्टी में कद और बढ़ गया. इसके एवज में उन्हें राज्य की मोदी सरकार में मंत्री पद से नवाजा गया. कोडनानी को महिला एवं बाल विकास और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया था, लेकिन उनके राजनीतिक करियर को तब झटका लगा जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल द्वारा दो दंगों के मामलों में दोषी ठहराया गया. इसके चलते 2009 में उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा था.