अरुण जेटली ने मोदी 2.0 कैबिनेट में शामिल होने से कर दिया था इनकार, जानिए क्या थी वजह
अरुण जेटली को सांस में तकलीफ के चलते 9 अगस्त को एम्स में भर्ती करवाया गया था.
highlights
- मोदी सरकार 2.0 में मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं थे जेटली
- अरुण जेटली ने पीएम को दिया था खराब स्वास्थ्य का हवाला
- मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जेटली ने किए थे ऐतिहासिक काम
नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का निधन हो गया. शनिवार को 66 वर्षीय अरुण जेटली ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली. अरुण जेटली को सांस में तकलीफ के चलते 9 अगस्त को एम्स में भर्ती करवाया गया था. जिसके बाद उन्हें देखने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा बीजेपी के कई दिग्गज नेता एम्स पहुंचे थे. अरुण जेटली डॉक्टरों की एक टीम की निगरानी में थे. साल 2019 में भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में लौटी मोदी 2.0 सरकार में अरुण जेटली ने कोई भी मंत्रिपद लेने से इनकार कर दिया था.
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अरुण जेटली ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही पीएम मोदी को मना कर दिया था कि वो अबकी बार कहीं से चुनाव नहीं लड़ेंगे और सरकार आने पर वो किसी भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे. हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी अरुण जेटली को मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाने के लिए उनसे मिलने उनके घर भी गए थे लेकिन अरुण जेटली अपनी बात पर अड़े रहे और खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया.
अरुण जेटली ने साल 2018 मई में किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था जो कि पूरी तरह सही नहीं हुआ था. जेटली ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि वह इस अपने इलाज के लिए समय चाहते हैं, इसलिए वह कोई भी पदभार संभालने में समर्थ नहीं हैं. पीएम मोदी चाहते थे कि अरुण जेटली उनके मंत्रिमंडल का हिस्सा बनें और अपने अनुभव से देश की जनता के लिए और भी बेहतरीन काम करें.
जेटली ने 29 मई को प्रधानमंत्री के नाम लिखी चिट्ठी में कहा था, पिछले पांच साल से आपके नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा होना मेरे लिए सम्मान के साथ-साथ सीखने का एक अवसर भी था. इससे पहले भी एनडीए की पहली सरकार के दौरान भी मुझे जिम्मेदारियां निभाने का अवसर मिला। पार्टी संगठन में और विपक्ष में रहते हुए भी मैंने बहुत कुछ सीखा। सीखने की मेरी भूख अभी मरी नहीं है.
पिछले आठ महीनों के दौरान मैं स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से घिरा रहा हूं. मेरे डॉक्टर मुझे इन समस्याओं से बाहर निकालने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. जब चुनाव प्रचार खत्म हुआ और आप केदारनाथ की ओर जा रहे थे, उस वक्त भी मैंने आपसे बात की थी. फिलहाल मैं किसी तरह की जिम्मेदारियों से दूर रहना चाहता हूं, ताकि अपने इलाज और सेहत पर ध्यान दे सकूं. आपके नेतृत्व में भाजपा और एनडीए ने शानदार और सुरक्षित जीत दर्ज की कल नई सरकार शपथ लेगी.
मैं औपचारिक रूप से आपसे यह निवेदन करने के लिए यह चिट्ठी लिख रहा हूं कि मुझे मेरे लिए, मेरे इलाज के लिए और स्वस्थ होने के लिए उचित देखभाल की जरूरत है. इसलिए फिलहाल मैं नई सरकार में किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता. सरकार के समर्थन में अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए अनौपचारिक तौर पर जब भी जरूरत होगी मैं तैयार रहूंगा. आपको बता दें कि अरुण जेटली उस समय अमेरिका से अपना इलाज कराकर लौट थे, जिसके लिए वो 4 सप्ताह से अमेरिका में थे, जिसकी वजह से वो मोदी सरकार की पहली पारी में अंतिम बजट नहीं पेश कर सके उनकी अनुपस्थिति में पीयूष गोयल ने वित्त मंत्रालय का काम संभाला था.
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