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कांग्रेस से इस्तीफे के बाद बोले विक्रमादित्य सिंह, पार्टी कश्मीरियों की भावनाओं को समझ नहीं पाई 

विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक पर लिखा, ‘मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना इस्तीफा देता हूं. जम्मू-कश्मीर के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्रहित को लेकर मेरी स्थिति कांग्रेस पार्टी के साथ मेल नहीं खाती है. पार्टी जमीनी हकीकत से कट चुकी है.’ 

Updated on: 22 Mar 2022, 11:45 PM

highlights

  • कश्मीर रियासत के महाराजा रहे हरि सिंह के पोते विक्रमादित्य ने कांग्रेस इस्तीफा दे दिया
  • पिता कर्ण सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार किए जाते हैं.

नई दिल्ली:

आजादी के समय जम्मू एवं कश्मीर रियासत के महाराजा रहे हरि सिंह के पोते विक्रमादित्य ने मंगलवार को कांग्रेस इस्तीफा दे दिया है. उनके पिता कर्ण सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं शुमार होते हैं. विक्रमादित्य सिंह ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लिखा कि मैं कांग्रेस से इस्तीफा दे रहा हूं. उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर कहा कि पार्टी जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की भावनाओं को समझ पाने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा, मैंने 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म नहीं देखी... लेकिन मैं 1989 तक श्रीनगर में था... यह दुखद है कि कांग्रेस अभी भी इनकार कर रही है और कह रही है कि कश्मीरियों का नरसंहार नहीं हुआ. विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक पर लिखा, ‘मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना इस्तीफा देता हूं. जम्मू-कश्मीर के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्रहित को लेकर मेरी स्थिति कांग्रेस पार्टी के साथ मेल नहीं खाती है. पार्टी जमीनी हकीकत से कट चुकी है.’ 

पोस्ट के साथ उन्होंने एक पत्र साझा किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘प्रिय श्रीमती सोनिया गांधी जी, मैं तत्काल प्रभाव से कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं. मेरा मानना  है कि कांग्रेस जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को महसूस करने और व्यक्त कर पाने में असमर्थ है.’

 

बीते कई दिनों से दे रहे थे बयान 

गौरतलब है कि कुछ दिनों से विक्रमादित्य सिंह कश्मीरी पंडितों के पलायन और अन्य मुद्दों को लेकर मुखर नजर आए हैं. हाल ही में उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि कश्मीर में जो हुआ  वह नरसंहार से कम नहीं था. उन्होंने लिखा था कि कश्मीर, डोडा, भद्रवाह और किश्तवाड़ के हिंदुओं को मारा गया. उन्हें अपनी जमीन से निकाल दिया. वे उस समय 1989 में श्रीनगर में था.  सैकड़ों की जान चली गई.