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संघ का जमात पर निशाना, कहा- कोरोना के आंकड़े सच बताते हैं, वे बेनकाब हो गए

आरएसएस ने कहा कि इनके (जमात) कारण कोरोना (Corona Virus) ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ी है और यह बात सभी लोग मान रहे हैं.

Updated on: 06 Apr 2020, 02:44 PM

highlights

  • संघ ने तबलीगी जमात के आचरण पर बड़ा हमला बोला.
  • मनमोहन बैद्य ने कहा-कोरोना की संख्या ही सबूत.
  • जमात ने गैरजिम्मेदाराना रवैये का परिचय दिया.

नई दिल्ली:

दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के आयोजन के बाद से देश में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मुस्लिम संगठन पर निशाना साधते हुए कहा है कि आंकड़े सच बताते हैं. आरएसएस ने कहा कि इनके (जमात) कारण कोरोना (Corona Virus) ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ी है और यह बात सभी लोग मान रहे हैं. आरएसएस के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य (Manmohan Vaidya) ने कहा कि अगर उनका नेतृत्व समय पर कार्यक्रम निरस्त करता तो अच्छा रहता.

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संघ ने रद्द किया था अपना कार्यक्रम
मनमोहन वैद्य ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से अपने संदेश में कहा, 'संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 15, 16 और 17 मार्च को बेंगलुरू में बैठक होने वाली थी. उस समय लॉकडाउन नहीं हुआ था. 1500 कार्यकर्ता आने वाले थे, लेकिन यह नेतृत्व की गंभीरता थी, जो बैठक को निरस्त कर दिया गया. जो लोग पहुंच चुके थे, उन्हें बेंगलुरू में अलग-अलग जगहों पर रोककर गाड़ी से वापस भेजने की व्यवस्था की गई. अगर इनके लोग भी ऐसी गंभीरता दिखाते तो यह सब नहीं होता.'

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जमात की मानसिकता ठीक नहीं
मनमोहन वैद्य ने जमात की हरकतों की निंदा करते हुए कहा, 'माना कि जानकारी के अभाव में पहले कुछ नहीं कर सके तो फिर बाद में छुपे रहना, दूसरों को छुपाना, जो जांच के लिए आ रहे हैं. यह उनके साथ बेहूदा व्यवहार करना, अस्पताल की लेडी नर्स के साथ गलत हरकत करना, यह सब विकृत मानसिकता का परिचायक है. यह मानसिकता ठीक नहीं है.'

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जमात अपनी हरकतों से बेनकाब
कोरोना फैलाने में साजिश के आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए मनमोहन वैद्य ने कहा कि तब्लीगी जमात के लोग एक्सपोज (बेनकाब) हो गए हैं. उन्होंने कहा, 'कोरोना के खिलाफ लड़ाई का मुस्लिम समाज के बहुत बड़े वर्ग ने समर्थन किया है, लेकिन एक वर्ग उतना संवेदनशील और जिम्मेदार नहीं है. मुस्लिम समुदाय से ही उनका विरोध हो रहा है. सबको समाज में ही रहना है. मुझे लगता है जितनी जल्दी हम इस संकट से बाहर आ सकते थे, उसमें थोड़ा विलंब हुआ है. फिर भी हम बाहर आकर रहेंगे.'