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वसुंधरा सरकार के अध्यादेश पर राहुल गांधी का तंज, कहा- 'मैडम हम 2017 में हैं न कि 1817 में'

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वसुंधरा सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह साल 2017 है न कि 1817।

Updated on: 22 Oct 2017, 08:39 PM

highlights

  • राहुल गांधी ने वसुंधरा सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह साल 2017 है न कि 1817
  • इस अध्यादेश के बाद राज्य में काम कर रहे अधिकारी किसी भी संभावित कार्रवाई से मुक्त हो जाएंगे, जब तक सरकार की मंजूरी नहीं मिलती

नई दिल्ली:

राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार की भ्रष्टाचार के मामले की जांच से पहले सरकार की अनिवार्य अनुमति लेने का अध्यादेश पारित करने की चौतरफा आलोचना हो रही है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वसुंधरा सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह साल 2017 है न कि 1817।

राहुल गांधी ने इस मुद्दे से जुड़े एक खबर का एक लिंक शेयर करते हुए ट्वीट कर लिखा, 'मैडम मुख्यमंत्री, पूरी विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि हमलोग 21वीं शताब्दी में हैं। यह साल 2017 है न कि 1817।'

बता दें कि राजस्थान सरकार द्वारा जारी इस अध्यादेश के बाद राज्य में काम कर रहे अधिकारी किसी भी संभावित कार्रवाई से मुक्त हो जाएंगे और इनके खिलाफ बिना सरकार की अनुमति लिए कोई अदालती या पुलिस कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

7 सिंतबर को जारी द क्रिमिनल लॉ (राजस्थान अमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस 2017 में मीडिया को भी ऐसे किसी आरोप की रिपोर्टिंग की इजाजत नहीं होगी जब तक कि संबंधित मामले में जांच के लिए सरकार की मंजूरी नहीं दे दी जाती है।

अध्यादेश में अधिकारियों को 6 महीनों के लिए इम्युनिटी दी गई है। इसमें कहा गया है, 'कोई भी मजिस्ट्रेट किसी भी सेवानिवृत्त या कामकाजी जज या मजिस्ट्रेट के खिलाफ जांच का आदेश नहीं देगा।'

अध्यादेश के जरिए आपराधिक संहिता 1973 को संशोधित किया जाएगा और इसके साथ ही नौकरशाहों से जुड़े किसी भी मामले, उनका नाम, पता, फोटो या पारिवारिक जानकारी छापने की अनुमित नहीं होगी।

इन नियमों का उल्लंघन करने वाले को दो सालों की सजा दिए जाने का प्रावधान रखा गया है।

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