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निर्भया केसः बिहार से फंदा, यूपी से जल्लाद और दिल्ली में लगेगी फांसी!

2012 निर्भया बलात्कार कांड के चार आरोपी पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विजय ठाकुर पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद है.

Updated on: 13 Dec 2019, 10:59 AM

नई दिल्ली:

अटकलें लगाई जा रही हैं कि निर्भया के दोषियों को 16 दिसंबर को फांसी दी जा सकती है. इस केस के एक दोषी पवन कुमार गुप्ता, जो यहां मंडोली जेल में बंद था, उसे हाल ही में तिहाड़ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है. 7 साल पहले 16 दिसंबर को चलती बस में निर्भया का वीभत्स तरीके से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में शीर्ष अदालत ने 4 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है. 2012 निर्भया बलात्कार कांड के चार आरोपी पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विजय ठाकुर पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद है.

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उत्तर प्रदेश से तिहाड़ जेल भेजे जाएंगे दो जल्लाद

तिहाड़ जेल ने पत्र के माध्यम से प्रदेश में जल्लादों की उपलब्धता पर सूचना मांगी. उत्तर प्रदेश जेल विभाग को तिहाड़ जेल से 9 दिसंबर को फैक्स से एक पत्र मिला था. उसमें उत्तर प्रदेश के दो जल्लादों के बारे में जानकारी मांगी गयी थी. हालांकि पत्र में यह नहीं लिखा था तिहाड़ जेल किसे फांसी देने के लिए इन जल्लादों को मांग रहा है. जेल विभाग भी तिहाड़ जेल प्रशासन को अपराधियों को फांसी देने के लिए 2 जल्लाद उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है. लखनऊ और मेरठ जेल में दो जल्लाद हैं, जिन्हें जेल विभाग की ओर से तिहाड़ जेल भेजा जाएगा. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह जल्लाद निर्भया के गुनाहगारों को फांसी की सजा देने के लिए मांगे जा रहे हैं, लेकिन आधिकारिक स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है.

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बिहार के बक्सर में बनाए जा रहे हैं फांसी के फंदे

उधर, फांसी के फंदे बनाने के लिए प्रसिद्ध बिहार की बक्सर जेल को इस हफ्ते के अंत तक फांसी के 10 फंदे तैयार रखने का निर्देश दिया गया है. जिसके बाद बक्सर जेल में फांसी के फंदे बनाने का काम भी शुरू हो गया है. कहा जाता है कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए रस्सी के जिस फंदे का इस्तेमाल किया गया था, वह इसी जेल में तैयार किया गया था. बक्सर जेल में फांसी के फंदे तैयार किए जाने का इतिहास काफी पुराना है. हालांकि पता नहीं कि इन फंदों का इस्तेमाल कहां होगा. अभी तक चार से पांच फंदे बनकर तैयार हो गए हैं. बक्सर जेल में लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते हैं और एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है. एक लट में करीब 154 धागे होते हैं, जिन्हें मिलाकर 7200 धागों का कर लिया जाता है. एक रस्सी बनाने में तीन से चार दिन लगते हैं, और यह काम पांच-छह कैदी करते हैं. बहरहाल, कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली में 7 साल पहले हुए निर्भया कांड के दोषियों को इस महीने के अंत में फांसी दी जा सकती है, जिसमें यहां बन रही रस्सियों का उपयोग हो सकता है.