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Nirbhaya Case: जानें आखिर क्यों निर्भया के दोषियों को फांसी देने में हो रही है देरी

कानून के विशेषज्ञ के मुताबिक, क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका दायर करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है. यही वजह है कि अभी तक इस मामले में क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका का विकल्प बचा है.

Updated on: 17 Jan 2020, 10:19 AM

नई दिल्ली:

निर्भया के हत्यारों की फांसी की तारीख कभी 'हां' कभी 'न' के बीच भले झूल रही हो. तिहाड़ जेल प्रशासन मगर अपनी तैयारियों में जोर-शोर से जुटा है. दरअसल, दोषियों के पास अभी भी कानूनी उपाय बचे हुए हैं और इस उपचार का इस्तेमाल वो कितने दिन में करेंगे, इसके लिए कानून में कोई तय सीमा नहीं है, इसी कारण फांसी होने बाकी रह गया है. इस मामले के चार अभियुक्तों सिंह (32), विनय शर्मा (26), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी दिया जाना तय हुआ है.

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कानून के विशेषज्ञ के मुताबिक, क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका दायर करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है. यही वजह है कि अभी तक इस मामले में क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका का विकल्प बचा है. इस केस के तीन दोषियों की रिव्यू पिटिशन जुलाई 2018 में ही खारिज हो गई थी. चौथे की याचिका पिछले महीने खारिज हुई है, जानकारों ने बताय कि इस मामले में सभी की दया याचिका खारिज होने के बाद आखिरी इंसाफ होगा.

सुप्रीम कोर्ट के कानून के विशेषज्ञ का कहना है कि निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए और सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करने के लिए समय सीमा तय है. लेकिन क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए कोई समयसीमा नहीं है, न ही दया याचिका दाखिल करने के लिए कोई समय सीमा तय की गई है.

कानून जानकार के मुताबिक, निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए दो महीने का वक्त होता है, यानी हाई कोर्ट में दो महीने के भीतर अपील दाखिल करनी होती है. हाई कोर्ट से भी अर्जी खारिज हो जाए तो सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए तीन महीने का वक्त निर्धारित है. सुप्रीम कोर्ट से भी अर्जी खारिज हो जाए तो रिव्यू पिटिशन के लिए एक महीने का समय होता है. रिव्यू खारिज होने के बाद क्यूरेटिव पिटिशन के लिए कोई समय सीमा नहीं है.

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बता दें कि निर्भया गैंगरेप मामले में 9 जुलाई 2018 को तीन दोषियों की रिव्यू पिटिशन खारिज कर दी गई थी, इसके बाद तीनों ने क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं कीं. इसके बाद फिर 2019 में चौथे मुजरिम अक्षय ने रिव्यू पिटिशन दाखिल कर दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया.