Monsoon 2023: देश में इस साल कैसी होगी बारिश? मॉनसून का पहला अनुमान जारी
Monsoon 2023: भारत में गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है. जैसे-जैसे गर्मी अपना रंग दिखाती है, वैसे-वैसे लोगों को मानसून की याद आने लगती है. इस भारत में कितनी बारिश होगी और कैसी होगी. इसका पहला पूर्वानुमान जारी कर दिया गया है
highlights
- मौसम विभाग ने जारी किया मानसून का पहला पूर्वानुमान
- पहले पूर्वानुमान में कम देश में कम बारिश होने की संभावना
- कम बारिश की वजह से खेती किसानी को पहुंच सकता है नुकसान
New Delhi:
Monsoon 2023: भारत में गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है. जैसे-जैसे गर्मी अपना रंग दिखाती है, वैसे-वैसे लोगों को मानसून की याद आने लगती है. इस भारत में कितनी बारिश होगी और कैसी होगी. इसका पहला पूर्वानुमान जारी कर दिया गया है. लेकिन मौसम विभाग ने जो पूर्वानुमान जारी किया है वह काफी चिंताजनक है. आपको बता दें कि इस साल सामान्य से कम मानसून रहने का अनुमान लगाया गया है. मौसम विभाग के इस पूर्वानुमान ने देश के अन्नतादा को बड़ा झटका दिया है. अप्रैल की शुरुआत में हुई बारिश ने खेती का काफी नुकसान पहुंचाया है और अब जब किसान अच्छे मानसून की उम्मीद कर रहा था तो कम बारिश की संभावना ने उसके चेहरे की मुस्कान छीन ली है.
नीनो का सीधा प्रभाव मानसून पर पड़ेगा
मौसम भविष्यवाणी से जुड़ी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार लॉन्ग पीरियड एवरेज (Long Period Average) का 94 फीसदी बारिश होने का अनुमान है. स्काईमेट के एमडी जतिन सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जैसे ही ला नीना खत्म होगा, वैसे ही नीनो दस्तक देगा. नीनो का सीधा प्रभाव मानसून पर पड़ेगा, जिसकी वजह से मानसून कमजोर रह सकता है. जतिन सिंह ने बताया कि देश में मानसूनी बारिश लॉंग पीरियड का एवरेज का 94 प्रतिशत रहने का अनुमान है. माना जा रहा है कि भारत मौसम विज्ञान विभाग अपने सालाना मानसून पूर्वानुमान का जल्द ऐलान कर सकता है.
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यहां होगी कम बारिश
स्काईमेट की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सीजन की दूसरी छमाही में बारिश का लेवल सामान्य से कम रह सकता है. स्काईमेट का कहना है कि उत्तर भारत में कम बारिश होने की वजह से खेती किसानी को देखते हुए बड़ा खतरा खड़ा हो गया है. जिससे चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन की फसलों को नुकसान पहुंच सकता है. आपको बता दें कि पिछले दिनों बेमौसम हुई बारिश की वजह से सरसों और गेहूं की फसल वैसे ही बर्बाद हो गई है. मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में हुई बारिश ने किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है. जिसके बाद किसान मानसूनी फसलों पर निर्भर थे और अच्छी बारिश होने की उम्मीद लगा रहे थे, लेकिन मानसून को लेकर मौसम विभाग के अनुमान ने किसानों को झटका लगा है.
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