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Major Train Accidents In India: भारत में ट्रेनों से जुड़े बड़े हादसे, जिन्हें देख कांप गई रूह

Major Train Accidents In India: भारत में ट्रेन हादसों का इतिहास काफी पुराना है. बिहार के खगड़िया से लेकर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर तक ऐसे हादसों की बड़ी लिस्ट है.

Updated on: 03 Jun 2023, 01:52 PM

highlights

  • भारत में हो चुके हैं कई बड़े ट्रेन हादसे
  • खगड़िया में हुए दर्दनाक हादसे की टीस अब भी बाकी
  • पश्चिम बंगाल-पंजाब में भिड़ चुके हैं दो ट्रेनें

नई दिल्ली:

Major Train Accidents In India : भारत में ट्रेन एक्सीडेंट्स का लंबा इतिहास रहा है. आजादी के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने ट्रेन हादसे के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन ये हादसे थमे नहीं. अभी ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की आपसी टक्कर की खबर आई है, जिसमें पौने तीन सौ लोगों से भी अधिक की मौत हो गई, तो 900 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक घटनास्थल का मुआयना कर चुके हैं, तो रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव भी दुर्घटनास्थल पर पहुंचे. वहीं, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पीड़ितो से मिल रहे हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ओडिशा पहुंच रहे हैं. लेकिन अब अभी आपको बता रहे हैं, देश में हुए उन भीषण ट्रेन हादसों के बारे में, जिनसे अब तक सबक नहीं लिया गया है.

खगड़िया में जून माह में ही हुआ था सबसे बड़ा ट्रेन हादसा

साल 1981 में 6 जून को बिहार के खगड़िया में ऐसा ट्रेन हादसा हुआ था, जिसे याद कर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. यहां एक ट्रेन रेलवे पुल से उतर कर सीधे नदी में समा गई थी. 7 डिब्बे पानी में बह गए थे. अगले 5 दिनों तक शव ढूंढे और निकाले गए. आधिकारिक आंकड़ों में 300 मौतों की बात कही जाती है, लेकिन लोगों का कहना है कि इस हादसे में कहीं ज्यादा लोग मारे गए थे.

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पश्चिम बंगाल में ट्रेनों की हुई थी टक्कर, 285 की गई थी जान

साल 1999 में पश्चिम बंगाल में अवध-आसाम एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल की सीधी टक्कर हो गई थी. इस हादसे में 285 लोगों की मौत हुई थी, तो सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. इस हादसे के बाद ट्रेनों में टक्करों को रोकने के लिए तंत्र बनाने की व्यवस्था की तैयारी शुरू हो गई थी, लेकिन अब तक ऐसे हादसों को रोका नहीं जा सका है. उससे एक साल पहले 1998 में अमृतसर गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस और जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस की टक्कर में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई थी.

इन हादसों से भी मची थी बड़ी तबाही

इसके अलावा साल 2002 में गया में राजधानी एक्सप्रेस के कोच सीधे नदी में जा गिरे थे, उस हादसे में 150 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, साल 2010 में पश्चिम बंगाल में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, जिसमें 170 लोगों की मौत हो गई थी. कानपुर में पुखरायां के पास पटना-इंदौर एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर गए थे, जिसमें 142 लोगों की मौत हो गई थी.