मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट की रार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, कल सुनवाई
फ्लोर टेस्ट नहीं कराने औऱ 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. शिवराज सिंह ने अर्जी में कहा है कि मध्य प्रदेश में कमल नाथ सरकार को 12 घंटे में बहुमत (Majority) साबित करने का निर्देश दिया जाए. कोर्ट इस मसले पर मंगलवार को सुनवाई करेगा.
highlights
- राज्यपाल लालजी टंडन ने सोमवार को फ्लोर टेस्ट के दिए थे आदेश.
- राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा 26 मार्च तक स्थगित.
- बीजेपी 12 घंटे में फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर पहुंची सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:
जैसी संभावना थी उसी के अनुरूप मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार द्वारा सोमवार को फ्लोर टेस्ट न कराने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की चौखट तक आ पहुंचा है. एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) और 9 विधायकों ने राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देश पर भी फ्लोर टेस्ट नहीं कराने औऱ 26 मार्च तक विधानसभा स्थगित किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. शिवराज सिंह ने अर्जी में कहा है कि मध्य प्रदेश में कमल नाथ सरकार को 12 घंटे में बहुमत (Majority) साबित करने का निर्देश दिया जाए. कोर्ट इस मसले पर मंगलवार को सुनवाई करेगा.
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शिवराज ने लगाए गंभीर आरोप
शिवराज चौहान और बाकी 9 विधायकों की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि कमलनाथ की सरकार बहुमत खो चुकी है. इस सरकार को अब एक दिन भी सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक, क़ानूनी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार नहीं है. सीएम की ओर से अल्पमत को बहुमत में बदलने के लिए विधायकों को धमकी से लेकर प्रलोभन दिए जा रहे है. विधायको को खरीद फरोख्त जारी है. याचिका में स्पीकर, कमलनाथ, मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रिंसिपल सेकेट्री को पक्षकार बनाया गया है. बीजेपी ने रजिस्ट्रार के सामने जल्द सुनवाई की मांग की थी. रजिस्ट्री ने आश्वस्त किया कि कल सुनवाई हो सकती है बशर्ते अर्जी में कुछ तकनीकी खामियो को दुरस्त कर लिया जाए.
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मप्र विधानसभा 26 मार्च के लिए स्थगित
इसके पहले मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को हंगामे की भेंट चढ़ गया. विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित करना पड़ा है. प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच बजट सत्र सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ था, लेकिन वे सिर्फ एक पैरा ही पढ़ सके और उन्होंने इसे सिर्फ लगभग डेढ़ मिनट में पूरा कर दिया. इसे राज्यपाल की नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है.
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बीजेपी दे चुकी थी पहले ही संकेत
बीजेपी ने रविवार को ही संकेत दे दिए थे कि मध्य प्रदेश में सोमवार को राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद फ्लोर टेस्ट न होने की स्थिति में वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने यह बात यहां मीडिया से कही थी. उधर, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को लिखे पत्र में मौजूदा परिस्थितियों में फ्लोर टेस्ट कराए जाने को अलोकतांत्रिक बताया है. राज्यपाल पहले ही कह चुके हैं कि उनके अभिभाषण के तुरंत बाद सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना होगा, जबकि विधानसभा की कार्यवाही की लिस्ट में सोमवार को फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं है. इसको लेकर सत्ता और विपक्ष में गतिरोध कायम है.
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