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वोटों की गिनती शुरू होते ही मंदिर पहुंचने लगे नेता, जानें क्या है इसके पीछे की रणनीति?

वोटों की गिनती शुरू होने के साथ ही नेताओं के दिलों की धड़कनें तेज हो गई हैं. रुझानों में चार राज्यों में से तीन राज्यों में बीजेपी आगे चल रही है तो वहीं तेलंगाना में कांग्रेस लीड कर रही है. इन रुझानों के बीच बीच कुछ पार्टियों के नेता मंदिर पहुंचें

Updated on: 03 Dec 2023, 08:49 AM

नई दिल्ली:

चार राज्यों में वोटों की गिनती शुरू होने के साथ ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के सभी नेताओं के दिलों की धड़कनें तेज हो गई हैं. अब तक के रुझानों के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. मध्य प्रदेश में बीजेपी 58 और कांग्रेस 54 पर है. वहीं राजस्थान में बीजेपी 60 और कांग्रेस 58 पर है. यहां दोनों पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. साथ ही तेलंगाना में बीआरएस 15, बीजेपी 3, कांग्रेस 19 पर है. वहीं, छत्तीसगढ़ में बीजेपी 23 और कांग्रेस 29 पर बनी हुई है. हालांकि, ये रुझान अब सामने आ रहे हैं. इन रुझानों के बीच बीच कुछ पार्टियों के नेता मंदिर पहुंच रहे हैं.

राजस्थान में बीजेपी के कई नेता मंदिर पहुंच रहे हैं. वही, मध्य प्रदेश में भी कई नेता भगवान की श्रण ले रहे हैं. इस रेल में उज्जैन के नागदा खाचरौद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार दिलीप गुर्जर ने महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की.

 

आखिर वोटों की गिनती से पहले प्रत्याशी क्यों जाते हैं मंदिर

अब सवाल है कि नतीजे आने से पहले ये प्रत्याशी मंदिर में क्यों जाते हैं? बता दें कि मंदिर में चुनाव से पहले जाने का कारण धार्मिक और सामाजिक होता है और यह व्यक्ति के आत्मिक और मानवीय संबंध को मजबूत करने का एक तरीका अपनाया जाता है. चुनाव से पहले मंदिर जाना किसी के लिए आत्मा की शांति और मार्गदर्शन की दिशा में होता है. 

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क्या है मंदिर जाने के पीछे की रणनीति?

व्यक्ति इस समय में अपने मानवीय और आत्मिक मूल्यों को मजबूत करने की कोशिश करता है. चुनाव से पहले किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय को लेने के लिए लोग अक्सर धार्मिक स्थलों की शरण लेते हैं. मंदिर जाने से उन्हें निर्णय करने की शक्ति मिलती है और उन्हें सही मार्गदर्शन का रास्ता मिलता है.चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत में शुभारंभ के लिए लोग भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर जाते हैं ताकि भगवान की कृपा से उन्हें बेहतर रिजल्ट मिले.यह एक सामाजिक गतिविधि का रूप भी होता है, जिससे लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर चुनावी प्रक्रिया को और भी सार्थक बनाते हैं. 

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