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वारिस होने के बाद भी कैसे लावारिस हो रहे लोग? जानें लावारिस लाशों की कहानी लावास्ते 

हर इंसान के जीवन में संघर्ष होता है और वो संघर्ष करते करते एक दिन मर जाता है. कुछ लोगों को मुखाग्नि उनके घर वाले देते हैं तो कुछ लोगों की लाशों को लावारिस छोड़ दिया जाता है.

Updated on: 24 May 2023, 09:50 PM

नई दिल्ली:

हर इंसान के जीवन में संघर्ष होता है और वो संघर्ष करते करते एक दिन मर जाता है. कुछ लोगों को मुखाग्नि उनके घर वाले देते हैं तो कुछ लोगों की लाशों को लावारिस छोड़ दिया जाता है. ऐसी ही लावारिस लाशों पर आधारित एक फिल्म बनी है- 'लावास्ते'. जीवन के अंतिम समय में जब किसी व्यक्ति को उसका परिवार छोड़कर चला जाता. यहां तक उसके शव को लेने के लिए घर का कोई सदस्य भी नहीं आता है तो ऐसे शवों का अंतिम संसार एक युवा लड़का करता है... 

लोगों के दिल को छू लेने वाली फिल्म लावास्ते में दिखाया गया है कि कुछ लोग कैसे वारिस होने के बाद भी लावारिस हो जाते हैं. छत्तीसगढ़ के रहने वाले सत्यांश की ये कहानी है. बीटेक करने के बाद उस लड़के को नौकरी नहीं मिली तो वह मुंबई आ जाता है. मुंबई में उसे नौकरी तो मिल जाती है, लेकिन न तो अच्छा पैसा मिलता है और न ही इज्जत. वहीं, गांव में उसका परिवार आर्थिक तंगी से परेशान है. इस सबके बीच सत्यांश ने पार्ट टाइम नौकरी करने का सोचा.
 
पार्ट टाइम नौकरी में उसे पैसा तो मिल रहा था, लेकिन काम था लावारिस लासों को उठाने का. एक बार उसने इस कार्य से खुद को पीछे हटाने की कोशिश की, लेकिन परिवार की आर्थिक तंगी को देखते हुए उसने लावारिस लाशों को उठाने की नौकरी शुरू कर दी. इस नौकरी में सत्यांश को जिंदगी में कई नई चीजें देखने को मिलीं कि परिवार, सुख-दुख क्या होता है. इस बीच उसने समाज में कुछ नया करने के बारे में सोचा और फिर लावास्ते नाम से एक कंपनी स्टार्ट की.

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धीरे-धीरे उसे अपने काम में सफलता मिलने लगी. वह अपने माता-पिता से दूर होने लगा और उनका अंतिम संस्कार नहीं कर पाता है. डायरेक्टर सुदीश कनौजिया और प्रोडूसर आदित्य वर्मा द्वारा बनाई गई ये फिल्म 26 मई को रिलीज होगी. 

डायरेक्टर : सुदेश कनौजिया
प्रोड्यूसर : आदित्य वर्मा
को प्रोड्यूसर : रोहनदीप सिंह
स्टार रेटिंग- 3.5/5