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कर्नाटक: ओल्ड मैसुर की 60 सीटें पर भाजपा को कड़ी टक्कर, कांग्रेस और जेडीएस का पलड़ा भारी

कर्नाटक का ओल्ड मैसूर क्षेत्र सूबे में चुनावी रणनीति के लिहाजे से काफी मजबूत माना जाता है. जनता दल (सेक्युलर) के पारंपरिक गढ़ के रूप में इस क्षेत्र का खासा महत्व है.

Updated on: 22 Apr 2023, 12:00 AM

नई दिल्ली:

कर्नाटक का ओल्ड मैसूर क्षेत्र सूबे में चुनावी रणनीति के लिहाजे से काफी मजबूत माना जाता है. जनता दल (सेक्युलर) के पारंपरिक गढ़ के रूप में इस क्षेत्र का खासा महत्व है. लेकिन भाजपा जेडीएस के इस किले को ध्वस्त करने की तैयारी में जुटी है. ओल्ड मैसूर के इस क्षेत्र में ज्यादातर  सीटों पर जनता बफादारी दिखाती रही है. इसमें 23 सीट पर जेडीएस 16 पर कांग्रेस और 11   सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है. कुछ सीटों पर निर्दलीय विधायकों का दबदबा रहा है. जिन विधानसभा सीटों पर जनता लगातार पिछले 20 सालों से बाफादरी दिखाती रही है. उनमें कोलार, चिक्काबल्लापुर, बेंगलुरु ग्रामीण, तुमकुरु, रामनगर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर और हासन जिलों की कुल 60 सीटें हैं. लिहाज ये क्षेत्र बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के लिए महत्वपूर्ण है. 

वहीं राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस किसी भी पार्टी ने वोक्कालिगा बहुल क्षेत्र ओल्ड  मैसूर में जीत हासिल कर ली, वह कर्नाटक पर फतह कर सत्ता पर कब्जा जमा सकता है. राजनीति के जानकारों साफ कहना है की इस बार भी अगर जनता ने वफादारी दिखा दी तो  बीजेपी की मुश्किल बढ़ जाएगी.

ओल्ड मैसूर क्षेत्र में लगभग 60 निर्वाचन क्षेत्र हैं, इसको लेकर कर्नाटक में किसी भी पार्टी के लिए चुनाव जीतने का एक अहम ब्लॉक है. शुरूआत में यह कांग्रेस का मूल गढ़ था, लेकिन हाल के दशक में जेडीएस ने अपनी पकड़ मजबूत कर इस इलाके में अपनी अहम पहचान बनाई है. इस इलाके में वोक्कालिगा समुदाय के लगभग 17 प्रतिशत मतदाता है,वहीं क्षेत्र एससी एसटी बहुल भी है. भाजपा के पास यहाँ न तो नेता है और मजबूत जनाधार. भाजपा यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे पर निर्भर है.उधर दूसरी तरफ कांग्रेस को अब भी यहां से कई उम्मीदें हैं. लिहाजा बीजेपी  के लिए सभी 60 सीट चुनौती पूर्ण तो है ही अभियान में जुटे नेताओं के लिए सिरदर्द बन गया है. लेकिन बीजेपी इतिहास बदल देने का दावा कर रही है.