अलगावादी नेता से कश्मीर पर बातचीत को लेकर भारत ने पाक उच्चायुक्त को बुलाकर जताया कड़ा विरोध
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा अलगाववादी नेता को फोन करना भारत के आंतरिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप देना है.
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक के बीच फोन पर हुई बातचीत के मद्देनजर भारत सरकार ने बुधवार को पाकिस्तानी उच्चायुक्त को समन किया. विदेश सचिव विजय गोखले ने भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त सोहैल महमूद को बुलाकर पाकिस्तान द्वारा भारत की संप्रभुता और एकता से छेड़छाड़ करने की कोशिशों का विरोध किया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा अलगाववादी नेता को फोन करना भारत के आंतरिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप देना है.
पाक विदेश मंत्री ने मीरवाइज उमर फारूक से फोन पर जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं का जिक्र किया था. गौरतलब है कि पाकिस्तान में इमरान खान सरकार की भारत के साथ संबंधों को सुधारने के दावों के बीच यह पहली हस्तक्षेप है.
विदेश सचिव ने कहा कि पाकिस्तान ने पुष्टि की है कि उसने भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद से जुड़े लोगों/युवाओं को भड़काने और शह देने का काम किया है. यह भारत के साथ सामान्य संबंधों की उनकी आकांक्षाओं के दोहरेपन को दिखाता है.
सोहैल महमूद को विदेश सचिव ने कहा कि भारत सरकार आशा करती है कि पाकिस्तान ऐसी गतिविधियों से बाज आएगा. उच्चायुक्त को बताया गया कि पाकिस्तान के इस रवैये से उलझने बढ़ेंगी.
विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को दो टूक कहा कि भारत सरकार की स्थिति स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है, है और रहेगा. और पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर राज्य के मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
इससे पहले पाकिस्तान के विदेश विभाग ने कहा कि कुरैशी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के मीरवाइज फारूक से बात की और उनके साथ कश्मीर मसले को प्रमुखता देने की दिशा में पाकिस्तान सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को लेकर चर्चा की.
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विभाग ने एक बयान में कहा था कि कुरैशी ने मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की ओर से जारी जून 2018 की रिपोर्ट और यूके संसद की एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों रिपोर्टों को लेकर भारत को जांच आयोग को अनुमति देनी चाहिए.
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