logo-image
लोकसभा चुनाव

बदलते मौसम को देख EC ने टास्क फोर्स का किया गठन, मतदान से पहले जारी होगी वेदर रिपोर्ट

चुनाव आयोग ने मौसम को देखते हुए एक टास्क फोर्ट का गठन किया है. इस टास्क फोर्स में मौसम विभाग और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं.

Updated on: 23 Apr 2024, 05:20 AM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है. दूसरे चरण के मतदान से पहले चुनाव आयोग ने टैक्स फोर्स का गठन किया है. आयोग चिलचिलाती गर्मी और भीषण लू पर नजर रख रहा है, ताकि चुनाव के दौरान कोई दिक्कत न हो. इलेक्शन कमीशन चुनाव के दौरान पड़ने वाली गर्मी की समीक्षा करेगी. आयोग द्वारा गठित टास्क फोर्स में भारतीय मौसम विभाग, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक, यह टास्क फोर्स हर फेज के मतदान के पांच दिन पहले ही गर्मी और लू का रिव्यू कर रिपोर्ट देगी. 

दूसरे चरण के मतदान में कैसा रहेगा मौसम? 

ऐसे में दूसरे चरण का चुनाव शुक्रवार यानी 26 मई को होने जा रहा है. इससे पहले टास्क फोर्स ने मौसम की समीक्षा कर रिपोर्ट दी है. इसके बाद चुनाव आयोग ने जानकारी दी है कि भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, लू को लेकर जानकारी दी गई है कि कोई दिक्कत नहीं है. मौसम में ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा. चुनाव आयोग ने यह फैसला तब लिया है जब भारत के कई हिस्सों में तापमान तेजी से बढ़ा है. मौसम विभाग के मुताबिक, ओडिशा, रायलसीम, गांगेय, पश्चिम बंगाल, झारखंड, विदर्भ, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान 42 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया है.

ये भी पढ़ें- भेज रहे स्नेह निमंत्रण, मतदाता तुम्हे बुलाने को...मतदान प्रतिशत बढ़ाने को EC ने निकाला गजब फॉर्मूला

इन इलाकों में चलेगी अधिक लू

वहीं, आईएमडी के पूर्वानुमान के मुताबिक, अप्रैल में देश के कई हिस्सों में चार से आठ दिनों तक लू चल सकती है. जानकारी में आगे बताया गया है कि आमतौर पर लू एक या दो दिन तक ही चलेगी. वहीं, अप्रैल की तुलना में जून में अधिक लू बह सकती है. इसका मतलब है कि अगले महीने 10 से 20 दिन तक लू चलेगी. जिन क्षेत्रों में लू चलने की सबसे अधिक संभावना है वे हैं मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा और झारखंड हैं. इन जगहों पर लू 20 दिनों से ज्यादा समय तक चल सकती है.

ये भी पढ़ें- वोट प्रतिशत गिरने से राजनीतिक दलों में खलबली, जानें किसका फायदा और किसका नुकसान?