बाबरी विध्वंस केस में कोर्ट के फैसले का कांग्रेस ने किया विरोध, उठाए ये सवाल
कोर्ट के इस फैसले को बीजेपी न्याय की जीत बता रही है, वहीं आरोपियों को बरी करने के निर्णय पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े किए हैं.
नई दिल्ली:
अयोध्या (Ayodhya) में छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व उपप्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह सहित सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. जहां कोर्ट के इस फैसले को बीजेपी (BJP) न्याय की जीत बता रही है, वहीं आरोपियों को बरी करने के निर्णय पर कांग्रेस (Congress) ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने कहा है कि बाबरी विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है.
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रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है, 'सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था. पर विशेष अदालत ने सब दोषियों को बरी कर दिया. विशेष अदालत का निर्णय साफ तौर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के भी प्रतिकूल है.'
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरजेवाला ने आगे कहा, 'पूरा देश जानता है कि भाजपा-आरएसएस व उनके नेताओं ने राजनैतिक फायदे के लिए देश व समाज के सांप्रदायिक सौहार्द्र को तोड़ने का एक घिनौना षड्यंत्र किया था. उस समय की उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भी सांप्रदायिक सौहार्द्र भंग करने की इस साजिश में शामिल थी. यहां तक कि उस समय झूठा शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट तक को बरगलाया गया. इन सब पहलुओं, तथ्यों व साक्ष्यों को परखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराया जाना गैरकानूनी अपराध ठहराया था.'
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उन्होंने कहा, 'संविधान, सामाजिक सौहार्द्र व भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद व अपेक्षा करता है कि विशेष अदालत के इस तर्कविहीन निर्णय के विरुद्ध प्रांतीय व केंद्रीय सरकारें उच्च अदालत में अपील दायर करेंगी तथा बगैर किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के देश के संविधान और कानून की अनुपालना करेंगी. यही संविधान और कानून की सच्ची परिपाटी है.'
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