PLA सैनिकों को सर्दी से बचाने चीन ने सीमा पर तैनात किए Robot
खबरें आ रही हैं कि शार्क क्लॉ के नाम से लोकप्रिय मशीनगन से लैस यह रोबोट तिब्बत सीमा पर तैनात किए गए हैं. इन रोबोट को वायरलेस से कंट्रोल किया जाता है.
highlights
- वायरलेस से ऑपरेट होते हैं मशीनगन लिए रोबोट
- ड्राइवर रहित बख्तरबंद वाहनों का भी इस्तेमाल
- लगातार उकसावेपूर्ण कार्रवाई कर रहा है ड्रैगन
नई दिल्ली:
बीते साल पूर्वी लद्दाख में भारतीय औऱ चीनी सैनिकों में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों में तनाव बदस्तूर कायम है. सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई राउंड की बातचीत के बावजूद विभिन्न बिंदुओं पर तल्खी बरकरार है. इसकी एक वजह यह भी है कि चीन अभी भी उकसावेपूर्ण कार्रवाई से बाज नहीं आ रहा है. बीते दिनों अरुणाचल प्रदेशों के कई इलाकों के नाम बदल देने के बाद अब उसने एक और कदम उठाया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन अब सीमा पर मशीनगन से लैस रोबोट की तैनाती कर रहा है. बताते हैं कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों के सर्दी से बचाने के लिए वह ऐसा कदम उठा रहा है.
तिब्बत सीमा पर तैनात किए मशीनगन वाले रोबोट
प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारत औऱ चीन बीते 20 माह से एक-दूसरे के साथ तनावपूर्ण संबंधों को जी रहे हैं. अब खबरें आ रही हैं कि शार्क क्लॉ के नाम से लोकप्रिय मशीनगन से लैस यह रोबोट तिब्बत सीमा पर तैनात किए गए हैं. इन रोबोट को वायरलेस से कंट्रोल किया जाता है. इसके साथ ही चीन ड्राइवर रहित सैन्य वाहनों मुले-200 का इस्तेमाल रसद और सैनिकों की आवाजाही में इस्तेमाल कर रहा है. चीन ने मानव रहित वाहनों के साथ ही 70 वीपी-22 बख्तरबंद सैन्य वाहन भी सीमा के पास तैनात किए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक कुल 150 लिंक्स ऑल-टेरेन वाहनों को सीमा पर भेजा गया है. इन वाहनों का इस्तेमाल हॉवित्जर, भारी मशीनगन, मोर्टार और मिसाइल लांचर जैसे कई तरह के सैन्य उपकरणों को तैनात करने में भी किया जाता है.
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अरुणाचल प्रदेश के 15 इलाकों के नाम बदले ड्रैगन ने
रोबोट सैनिकों की तैनाती से पहले चीन ने भारत को उकसाने वाली एक और हरकत की है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 15 जगहों के नाम बदल दिए हैं. चीन ने चीनी शब्दों में इन जगहों के नाम रखे हैं और इसे अपना अधिकार बताया है. बदले गए 15 नामों में से आठ रेसिडेंशियल प्लेस, चार पहाड़, दो नदी और एक पहाड़ी दर्रा है. बता दें कि चीन ने दूसरी बार अरुणाचल प्रदेश के जगहों का चीनी नाम देने का काम किया है. इससे पहले 2017 में चीन ने छह जगहों का नाम अपने हिसाब से रखा था. हालांकि मोदी सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.
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