पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की पुण्यतिथि पर बीजेपी के इन बड़े नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
संजय गांधी का जन्म 14 दिसम्बर 1946 को हुआ था. संजय की शुरूआती शिक्षा देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल में हुई थी.
highlights
- आज के दिन ही संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में हुआ था निधन.
- बेटे वरुण गांधी और पत्नी मेनका गांधी ने दी श्रद्धांजलि.
- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे थे संजय गांधी.
नई दिल्ली:
Death Anniversary of Sanay Gandhi: कांग्रेस के लिए 23 जून का दिन हमेशा के लिए काला दिन तब बन गया जब संजय गांधी का टू सीटर विमान दिल्ली में अशोक होटल के पीछे दुर्घटनाग्रस्त हो गया. आज दिल्ली में संजय गांधी की पुण्यतिथि पर आज बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है. इन नेताओं में सांसद और संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और पुत्र वरुण गांधी भी शामिल रहे.
Delhi: BJP MPs Maneka Gandhi and Varun Gandhi pay tribute to Sanjay Gandhi on his death anniversary pic.twitter.com/HtmXL4YarH
— ANI (@ANI) June 23, 2019
संजय गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था, लेकिन उनके निधन से देश की सियासी हवाएं पूरी तरह बदल गई. संजय गांधी की मृत्यु के बाद बड़े भाई राजीव गांधी को राजनीति में कदम रखना पड़ा था. बता दें कि मौत के समय उनकी उम्र केवल 34 वर्ष की थी.
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संजय गांधी का जन्म 14 दिसम्बर 1946 को हुआ था. संजय की शुरूआती शिक्षा देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल में हुई थी. संजय गांधी ने ऑटोमोटिव इंजिनियरिंग की पढ़ाई की और इंग्लैंड स्थित रॉल्स रॉयस (ब्रिटिश लग्जरी कार कंपनी) में 3 साल के लिए इंटर्नशिप भी किया। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद airline pilot का पायलट लाइसेंस भी प्राप्त किया.
ऐसा था अंदाज
70 के दशक को संजय गांधी की वजह से काफी यादगार माना जाता है. भारत में इमरजेंसी की भूमिका बहुत विवादास्पद थी. हालांकि उनकी तेज तर्रार शैली और दृढ़ निश्चयी सोच की वजह से वो देश की युवाओं के बीच काफी फेमस थें और उन्हें युवा नेता भी माना जाता था. संजय गांधी अपनी सादगी और स्पष्ट विचारों वाले भाषण के लिए भी जाने जाते थे.
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संजय गांधी के बारे में कहा जाता है कि वो प्लेन में भी कोल्हापुरी चप्पल पहनते थे, जिसके लिए राजीव गांधी उन्हें बार-बार चेतावनी दी जाती थी कि संजय उड़ान से पहले चप्पल नहीं बल्कि पायलट वाले जूते पहनें. हालांकि संजय उनकी सलाह पर कोई ध्यान नहीं देते थे.
आपातकाल में रही है महत्वपूर्ण भूमिका
25 जून 1975 मे देश में जब आपातकाल लागू किया गया तब इंदिरा सरकार के अंदर संजय गांधी का ही बोल-बाला था. इंदिरा सरकार के नसबंदी के फैसले से लोगों में गुस्सा और बढ़ गया. इंदिरा सरकार के इस फैसले को किसी ने सख्ती से लागू किया है तो वो संजय गांधी ही थे. स्वभाव से सख्त और फैसले लेने में फायरब्रांड कहे जाने वाले संजय गांधी ने इस मौके को खूब भुनाया और राजनीति में अपना कद काफी बड़ा कर लिया.
जब नसबंदी के फैसले को उन्होंने सख्ती से पालन कराना शुरू किया तो देश के कोने- कोने में उनकी बातें होने लगीं. एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ एक साल के भीतर देशभर में 60 लाख से ज्यादा लोगों की नसबंदी की गई, इनमें 16 साल के किशोर से लेकर 70 साल तक के बुजुर्ग शामिल थे। ऑपरेशन में हो रही गड़बड़ियों के काऱण हजारों लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी.
सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह तक रोकी
संजय नसबंदी को पूरी तरह से लागू करना चाहते थे जिस लिए वो अपने कार्यकर्ताओं से भी युद्ध स्तर पर कार्य करने की अपेक्षा रखते थे. इसके लिए उन्होंने सरकारी महकमों को साफ आदेश था कि नसंबदी के लिए तय लक्ष्य को वह वक्त पर पूरा करें, नहीं तो तनख्वाह रोककर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
मारुती की रखी थी नींव
भारत में मारुति की नींव संजय गांधी ने ही डाली थी.
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