आजाद से मुलाकात कर घिरे हुड्डा और चव्हाण, उठी कार्रवाई की मांग
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के गुलाम नबी आजाद से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेताओं ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाने के लिए दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के गुलाम नबी आजाद से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेताओं ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाने के लिए दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. सूत्रों के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस की हरियाणा इकाई की पूर्व अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है, जबकि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ ने इस संबंध में अनुशासन समिति को पत्र लिखा है.
हुड्डा ने बताया 'शिष्टाचार' मुलाकात
इन सबके बीच हुड्डा ने गुरुवार को आजाद से मिलने की अपनी वजह स्पष्ट नहीं की. गौरतलब है कि कांग्रेस जी 23 के नेता पृथ्वीराज चव्हाण, आनंद शर्मा और भूपिंदर सिंह हुड्डा ने मंगलवार को आजाद से मुलाकात की थी, उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और 4 सितंबर को जम्मू में अपनी पहली जनसभा आयोजित करने वाले हैं. हुड्डा ने इसे 'शिष्टाचार' करार देते हुए कहा कि वे सभी मिले, क्योंकि वे वर्षों से पार्टी के सहयोगी रहे हैं और उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि हमने उनसे पूछा था कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया.
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कांग्रेस अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव पद्धति पर उठे सवाल
कुछ नेताओं द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र में मतदाता सूची की अनुपलब्धता पर सवाल उठाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया सुर्खियों में आ गई है. कांग्रेस के दो नेताओं मनीष तिवारी और कार्ति चिदंबरम ने बुधवार को मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाली कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण से मतदाता सूची को सार्वजनिक करने और कांग्रेस की वेबसाइट पर उपलब्ध कराने का आग्रह किया. हालांकि, सीईए ने कहा कि ये रोल चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को उपलब्ध कराए जाएंगे.
तिवारी और कार्ति चिदंबरम ने पार्टी अध्यक्ष चुनाव के तरीके पर चिंता जताई थी. एक ट्वीट में चिदंबरम ने कहा था कि हर चुनाव में एक अच्छी तरह से परिभाषित और स्पष्ट निर्वाचक मंडल की आवश्यकता होती है. निर्वाचक मंडल बनाने की प्रक्रिया भी स्पष्ट, अच्छी तरह से परिभाषित और पारदर्शिता होनी चाहिए. एक तदर्थ निर्वाचक मंडल कोई निर्वाचक मंडल नहीं है. आनंदपुर साहिब के सांसद तिवारी ने भी पार्टी अध्यक्ष चुनाव से पहले मतदाता सूची पर संदेह जताते हुए कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए इन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
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