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पुण्यतिथि विशेष : जब अटल ने लिया परमाणु परीक्षण का फैसला, हैरान हो गई दुनिया

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है. अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सुनकर भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत का चेहरा उभर आता है. अटल एक मजबूत शख्सियत थे. इसके साथ ही वो कड़े फैसले लेने की क्षमता भी रखते थे.

Updated on: 16 Aug 2020, 01:00 AM

नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है. अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सुनकर भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियत का चेहरा उभर आता है. अटल एक मजबूत शख्सियत थे. इसके साथ ही वो कड़े फैसले लेने की क्षमता भी रखते थे. आज हम आपको एक ऐसे ही फैसले के बारे में बता रहे हैं. जिसके बाद पूरी दुनिया चकित रह गई थी.

11 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में तीन बमों के सफल परीक्षण के साथ भारत न्यूक्लियर स्टेट बन गया. ये देश के लिए गर्व का समय था. अगर पूछा जाए कि देश को परमाणु स्टेट बनाने वाला पीएम कौन था तो आपको अटल बिहारी वाजपेयी का नाम जवाब के रूप में मिलेगा. 1998 में देश को परमाणु स्टेट बनाने की तैयारी हो गई थी. लेकिन भारत को परमाणु शक्ति बनने से रोकने के लिए अमेरिकी की सैटेलाइट लगातार घूम रही थीं.

आसान नहीं था परीक्षण

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए परमाणु बम का परीक्षण इतना आसान नही था. परमाणु परीक्षण को लेकर विपक्षी दलों ने उनपर निशाना भी साधा था. लेकिन जब वह विपक्ष के सवालों का पलटवार संसद में करने उतरे तो विपक्ष एकदम खामोश हो गया. उन्होंने साफ संदेश दिया कि ये बदला हुआ भारत है, दुनिया से आंख मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहता है. किसी प्रतिबंध से झुकेगा नहीं और शांति और सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा.''

क्या था मिशन का नाम

पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण मिशन का नाम ऑपरेशन शक्ति था. इस मिशन में अहम भूमिका निभाने वालों में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे. वह उस वक्त रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक के पद पर थे.