अफगानिस्तान में पाकिस्तान के दखल के खिलाफ बेंगलुरु में अफगान छात्रों का विरोध प्रदर्शन
तालिबान को समर्थन देने के खिलाफ आज बेंगलूरु में पढ़ रहे अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की
highlights
- बेंगलूरु में पढ़ रहे अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों का विरोध प्रदर्शन
- पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की
- यूनाइटेड नेशन्स से पाकिस्तान के खिलाफ करवाई करने की मांग की
बेंगलूरु :
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार बन जाने और पंजशीर में पाकिस्तान के हमलों और तालिबान को समर्थन देने के खिलाफ आज बेंगलूरु में पढ़ रहे अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की, और यूनाइटेड नेशन्स से पाकिस्तान के खिलाफ करवाई करने की मांग की. अफ़ग़ान छात्रों ने टाउन हॉल से मैसूरु बैंक सर्किल तक एक रैली भी निकाली. वही भारत के अन्य बड़े शहरों में स्थित दूतावासों के बाहर भी अफगानों का विरोध जारी है. राजधानी दिल्ली में भी कई अफगान नागरिक ऑस्ट्रेलियाई, यूएस और कनाडा दूतावास के बाहर इकट्ठा होकर शरणार्थियों के रूप में स्वीकार करने और वीजा देने की मांग की है.
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मिली जानकारी के अनुसार, दूतावास अधिकारियों ने कुछ अफगान नागरिकों से बात की है और उनको अपनी जनकारी देने की बात भी कही गई है. अफगान नागरिकों को पहले यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त) को एक ईमेल भेजना होगा जो इन्हें वीजा के लिए दूतावास के पास भेजेगा. हालांकि अफगान नागरिकों का आरोप है कि यूएनएचसीआर कार्यालय कोई जवाब नहीं देता. वही अफगानिस्तान में सरकार का गठन हो चुका है, उसमें एक चौथाई मंत्री ऐसे हैं जो पाकिस्तानी मदरसों के न सिर्फ स्टूडेंट रहे हैं, बल्कि अभी भी वहां के मदरसों में इस्लामी शिक्षा के नाम पर आतंकवादी तैयार कर रहे हैं. यही नहीं तालिबानियों की सरकार में 5 मंत्री ऐसे भी हैं, जो अमेरिका की लिस्ट में खूंखार आतंकवादी है और उनके सिर पर करोड़ों रुपये का इनाम भी घोषित है.
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दरअसल, अफगानिस्तान में बिगड़े माहौल के चलते सब-कुछ बर्बाद हो गया है. तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है. माहौल खराब के चलते अब अन्य देशों ने वहां से अपना सबकुछ समेटना शुरु कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने बताया कि अफगानिस्तान में स्थिति बेहद अस्थिर बनी हुई है. अफगानिस्तान के अंदर मानवीय प्रतिक्रिया के लिए समर्थन की तत्काल आवश्यकता है. वही अफगानिस्तान की स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त होने के कगार पर है. तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद दो प्रमुख सहायता एजेंसियों ने अफगानिस्तान को धन देना बंद कर दिया है.
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