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राफेल घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट में जाने को लेकर दुविधा में प्रशांत भूषण, कहा- वहां भी भ्रष्टाचार

स्वराज अभियान संगठन के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शनिवार को दावा किया कि वह राफेल मामले में वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को लेकर दुविधा में हैं क्योंकि वहां भी भ्रष्टाचार है.

Updated on: 26 Aug 2018, 10:34 PM

नई दिल्ली:

स्वराज अभियान संगठन के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शनिवार को दावा किया कि वह राफेल मामले में वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को लेकर दुविधा में हैं क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालत में भी भारी भ्रष्टाचार है. प्रशांत भूषण ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कोई मामला ले जाने से पहले सोचना पड़ता है क्योंकि ‘सर्वोच्च न्यायलय में भी बहुत भ्रष्टाचार है’ और यही वजह है कि वह इस मामले को अदालत में ले जाने को लेकर अनिर्णय की स्थिति में हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या उच्चतम न्यायालय में भी भ्रष्टाचार है, भूषण ने कहा, ‘इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि उच्चतम न्यायालय में भ्रष्टाचार है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि राफेल सौदे में 36,000 करोड़ का घोटाला हुआ है. भूषण ने कहा कि उन्होंने सौदे को लेकर केंद्र पर चौतरफा दबाव डालने का रास्ता चुना है.‘देखते हैं क्या नतीजा सामने आता है.’

प्रशांत भूषण ने राफेल मामले में कांग्रेस पार्टी की यह कह कर प्रशंसा की कि उसने यह मामला दृढ़ता से उठाया है.

कांग्रेस ने राफेल सौदे पर गहन जांच की मांग की

कांग्रेस ने राफेल सौदे को लेकर शनिवार को एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा और इस मुद्दे पर एक सार्वजनिक बहस कराने तथा मामले की गहन जांच कराने की मांग की. कांग्रेस ने सरकार पर रक्षा खरीद प्रक्रिया को नजरंदाज करने और सौदे को लेकर वरिष्ठ मंत्रियों को गफलत में रखने का आरोप लगाया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मीडिया से बातचीत के दौरान सरकार पर काफी महंगे दाम पर विमान सौदा करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के कार्यकाल के मुकाबले तीनगुना से भी ज्यादा कीमतों पर विमान का सौदा किया.

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पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में चिदंबरम ने कहा, "हमारा मानना है कि मसला काफी गंभीर है, इसलिए इसपर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए. साथ ही, मामले की गहन जांच होनी चाहिए. यही कारण है कि कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) और पार्टी ने मसले को उठाया है."

उन्होंने कहा कि UPA सरकार ने 126 राफेल विमान का सौदा किया था, जिनमें 18 विमान तैयार अवस्था में और बाकी 108 का विनिर्माण फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत भारत में बेंगलुरू स्थित हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जाना था.

चिदंबरम ने कहा, "एक विमान का सौदा 526 करोड़ रुपये में किया गया था. अगर 18 विमानों के बदले 36 विमान भी खरीदते तो इस कीमत पर उसका कुल मूल्य 18,940 करोड़ रुपये होता."

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लेकिन 2014 में UPA के सत्ता से बाहर होने के बाद NDA की सरकार बनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल, 2015 को फ्रांस के अपने आधिकारिक दौरे के दौरान 36 राफेल विमान की खरीद का करार करने की घोषणा की.

चिदंबरम ने कहा, "हालांकि विमान की कीमत नहीं बताई गई, मगर दसॉल्ट एविएशन के कागजात के आधार पर बाद में आई रिपोर्ट में विमान की कीमत 7.5 अरब यूरो बताई गई है, जोकि तकरीबन 60,145 करोड़ रुपये के बराबर है."

उन्होंने बताया कि संप्रग सरकार के दौरान जहां एक विमान का सौदा 526 करोड़ रुपये में हुआ था, वहीं प्रधानमंत्री के दौरे के समय एक विमान का सौदा 1,670 करोड़ रुपये में किया गया. इस प्रकार 36 विमानों का कुल मूल्य 60,145 करोड़ रुपये हो गया.

उन्होंने कहा, "अगर ये आंकड़े सही हैं तो क्या कोई बताएगा कि कीमतों में तीनगुनी वृद्धि क्यों हुई? यह पहला सवाल है, जिसका सरकार के पास जवाब यह है कि यह गुप्त करार है और हम कीमत नहीं बता सकते."

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चिदंबरम ने कहा, "मैं आज जो कीमत बता रहा हूं, उसमें गुप्त क्या है? यह दसॉल्ट की सालाना रपट में है."